
Sahebgunj : दुमका में बुधवार को कम तीव्रतावाले भूकंप के झटके महसूस किये गये. भूकंप का केंद्र बिंदु पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में था. इसकी तीव्रता रेक्टर स्केल पर 4.1 थी. यह जमीन से 10 किलोमीटर गहराई में था. गहराई अधिक होने और तीव्रता कम होने के कारण भूकंप से कोई नुकसान नहीं हुआ. इससे कुछ दिनों पहले साहेबगंज में भी झटका महसूस किया गया था.
पिछले छह साल में यहां भूकंप के 7 झटके महसूस किये जा चुके हैं. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका के भूवैज्ञानिक और पर्यावरणविद् डॉ रणजीत कुमार सिंह ने सरकार से अपील की है कि झारखंड में भूकंप जोन की फिर से मैपिंग हो. साहेबगंज को नो माइनिंग जोन घोषित किया जाये. इससे भूकंप के खतरे को कम किया जा सकेगा.
इसे भी पढ़ें – SAR अफसर की वजह से अदिवासी परिवार को हुआ लाखों रुपये का नुकसान, CNT प्रावधानों के बावजूद बाजार दर से नहीं मिली क्षतिपूर्ति राशि


साहेबगंज में 2015 से आ रहा भूकंप


डॉ रणजीत सिंह के अनुसार भूकंप के खतरे के लिहाज से झाऱखंड जोन 3 में आता है. संथाल के साहेबगंज में 6 सालों में भूकंप के कई झटके आ चुके हैं. इस साल 24 अगस्त के अलावे पिछले साल भी झटका महसूस किया गया था. 2015 से यहां लगातार भूकंप आ रहा है. 4 जनवरी 2016 के अलावे, 15 दिसंबर 2015, 12 मई 2015, 26 अप्रैल 2015 और 25 अप्रैल 2015 को यहां झटका महसूस किया गया था.
इसे भी पढ़ें – मोरेटोरियम ब्याज पर SC की केन्द्र को फटकार, कहा- सिर्फ बिजनेस नहीं जनता के हित के बारे में सोचें
बने नो माइनिंग जोन
संथाल के कई इलाकों में गैर जिम्मेदार तरीके से पहाड़ और जंगलों की कटाई से प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है. भू-वैज्ञानिकों के अनुसार साहेबगंज को नो माइनिंग जोन घोषित किया जाना चाहिए. यहां भूकंप का खतरा बना हुआ है. पिछले पांच सालों में यहां आ रहे झटके इसका प्रमाण हैं. राज्य में भूकंप ज़ोन की मैपिंग फिर से होने से लोग सतर्कता को प्राथमिकता दे सकेंगे. एक भूकंप मापी यंत्र भी स्थापित किये जाने की जरूरत है जो भूवैज्ञानिक की देख-रेख में काम करे. इसके अलावा खनन व पर्यावरण के नुकसान के आकलन तथा सुरक्षा समिति का गठन भी लाभकारी होगा. इसके अलावा नागरिकों को भूकंप के खतरे से बचाव के लिए बुनियादी जानकारी देते रहने की जरूरत है.
इसे भी पढ़ें – NEET-JEE परीक्षाओं को रद्द करने की सिसोदिया ने की मांग, NSUI ने शुरू की भूख हड़ताल