
Ranchi: मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद, और कोर्ट के आदेश पर डीजीपी डीके पांडेय ने गुरुवार को एक पुलिस आदेश जारी किया है. जारी आदेश में डीजीपी ने कहा है कि पिछले पांच सालों में झारखंड में मॉब लिंचिंग की जो घटनाएं हुई हैं, उसके आंकड़े जुटाये जाये. जिसके आधार पर संबंधित इलाके व समूहों को चिन्हित किया जाये. यह काम दो सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाये. और इसमें शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाये. साथ ही चिन्हित इलाकों में भयमुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाये जाये.
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इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के अफसर अनुसंधानक नहीं


जारी पुलिस आदेश संख्या-72/2018 में डीजीपी ने कहा है कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर जो प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. उसकी जांच का जिम्मा इंस्पेक्टर रैंक से नीचे के अफसर को नहीं दिया जाना चाहिए. जांच की प्रगति पर एसपी खुद नजर रखेंगे. साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मॉब लिंचिंग के मामलों का स्पीडी ट्रायल हो और गवाहों को सुरक्षित न्यायालय में उपस्थित कराया जाये.




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मॉब लिंचिंग के मामले में सभी जिला के एसपी सूचना संकलन के लिए योग्य पदाधिकारी को प्रतिनियुक्ति करेंगे. साथ ही समय-समय पर बैठक करके सूचनाओं की समीक्षा भी करेंगे. जिला के एसपी विशेष शाखा के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ महीने में दो बार बैठक करेंगे. इसके अलावे अंतर जिला के मामलों के लिए क्षेत्र के डीआईजी महीने के अंत में समन्वय बैठक करेंगे.
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सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देश
उल्लेखनीय है कि 17 जुलाई को मॉब लिंचिंग के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इसके लिए निर्देश जारी करते हुए कहा था कि 4 सप्ताह के भीतर मॉब लिन्चिंग पर दिशा-निर्देश जारी करें. सर्वोच्च न्यायालय ने सख्ती के साथ कहा था कि गोरक्षा के नाम पर कोई भी शख्स कानून को हाथ में नहीं ले सकता है. केंद्र और राज्य सरकार को गाइडलाइन जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के लिए कानून व्यवस्था को मजबूत करने की जरुरत है.
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