
New delhi : लद्दाख की सीमा पर लगातार अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे चीन ने अब नरमी के संकेत दिए हैं. युद्ध पर आमादा चीन को जब भारत ने उसी की भाषा में जवाब देना शुरू किया तो उसे अपनी रणनीति पर पिर से विचार करना पड़ रहा है. लद्दाख की सीमा पर पिछले कई महीनों से तनाव रहा है. गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद दोनों ही देशों की सेना भारी हथियारों के साथ अमने-सामने थी. हालांकि तनाव घटाने के लिए दोनों ही देशों के बीच कूटनीतिक स्तर से लेकर सैन्य कमांडरों तक की कई दौर की बैठकें हुई है. अब चीन भारत की इस बात पर सहमत दिख रहा है कि दोनों ही देश सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ायेंगे.
इसे भी पढे़ं :मुंबई पर बारिश की आफत, लगातार बारिश से रेलवे ट्रैक सहित सबवे तक पानी में डूबे
चीनी राष्ट्रपति ने कहा वार्ता से मसले को सुलझायेंगे


इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि चीन वार्ता के जरिए दूसरों के साथ मतभेद कम करेगा और विवादों को सुलझाएगा. संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75 वीं बैठक में शी ने कहा, ‘‘ हम वार्ता और संवाद के माध्यम से अन्य के साथ मतभेद घटायेंगे और विवादों को सुलझाते रहेंगे.


इसे भी पढ़ें :भारतीयों ने साबित किया कि चीनी उत्पादों का बहिष्कार उनका जनादेश है : सुभाष अग्रवाला
दोनों ही पक्षों ने गतिरोध खत्म करने पर किया विचार
इस मामले पर भारतीय सेना का जो बयान आया है उसमें कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को स्थिर करने के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने गहराई से विचारों का अदान-प्रदान किया गया. यह पहली बार है कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों देशों की सेनाओं ने स्पष्ट कदमों की घोषणा की है.
गौरतलब है कि लद्दाख सीमा के पहाड़ी क्षेत्रों में चीन लगातार घुसपैठ की कोशिश में लगा था. इस बार भारत की कड़ी प्रतिक्रिया से उसकी घुसपैठ की कोशिशों पर ना सिर्फ अंकुश लगा है बल्कि कई मोर्चों पर उसकी स्थिति कमजोर भी हुई है. अब जब बॉर्डर पर भारत की स्थिति मजबूत है और भारत ने अपना रुख बिल्कुल भी हल्का नहीं किया तो चीन को बातचीत की टेबल पर आकर समझौता मानना पड़ा.गलवान घाटी की हिंसक झड़प के जब तनाव की स्थिति पैदा हुई तो दोनों ही देशों ने सैनिकों की तैनाती कर दी. चीन ने शुरू में आक्रामक रवैया अपनाया. उसने लगातार LAC के उस पार बड़ी संख्या में सैनिकों को जुटाया. जिसके जवाब में भारत ने भी बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया. ऐसा लगा कि अब युद्ध होकर रहेगा. इस बीच मंगलवार को दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई. 14 घंटे की बैठक में यह सहमति बनी है कि अब दोनों देश बॉर्डर पर और सैनिक नहीं बुलाएंगे.
आगे भी वार्ता जारी रखने पर सहमति
बैठक के बाद जो साझा बयान सामने आया है उसमें यह कहा गया है कि दोनों देशों के बीच विवाद पर खुलकर बात हुई, आगे कोशिश रहेगी कि बात होती रहे. साथ ही सीमा पर सैनिकों की संख्या को कम किया जाए. इसी बातचीत में अभी और सैनिक ना बुलाने की बात हुई है. इसके बाद भी भारत की ओर से सतर्कता बरती जा रही है. क्योंकि चीन इससे पहले भी ऐसे वादे करके भूलता रहा है.
पांच महीने पहले से जो विवाद चल रहा है उसके अभी खत्म होने की आशंका नहीं है. क्योंकि पहले से ही जो बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती हुई है. उनकी वापसी के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.
इसे भी पढ़ें :मुंबई पर बारिश की आफत, लगातार बारिश से रेलवे ट्रैक सहित सबवे तक पानी में डूबे