
Ranchi : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय और सामाजिक कार्यकर्ता बलराम झारखण्ड सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव, आराधना पटनायक से मिले और उन्हें राशन दुकानों से उपलबध कराये जा रहे फोर्टिफाईड चावल के बारे में आम जनता की धारणा एवं भ्रांतियों से अवगत कराया. उन्होंने मुख्य सचिव से अनुरोध किया कि वे संबंधित विभागों की एक उच्चस्तरीय बैठक अपने स्तर पर बुलायें, जिसमें स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग आदि के उच्चाधिकारी शामिल रहें और राशन दुकानों, मिड-डे मिल, आंगनबाड़ी आदि के लिए उपलब्ध कराये जा रहे फोर्टीफाईड चावल के जन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में चर्चा कर एक सुनिश्चत निष्कर्ष पर पहुंचें. इसके बाद ही राशन दुकानों से इसका वितरण करने की अनुमति दी जाये.
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उन्होंने मुख्य सचिव को बताया कि भोजन और जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय कई प्रबुद्ध कार्यकर्ता आज मुझसे रांची अवस्थित आवासीय कार्यालय में मिले और फोर्टिफाईड चावल के माध्यम से लोगों तक पोषक तत्व पहुंचाने की केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों की समीक्षा किये बिना ही और इससे आम लोगों को अवगत कराये बिना ही झारखण्ड सरकार के कई जिलों में फोर्टिफाईल चावल देने की यह योजना आरंभ कर दी गयी है.



पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखण्ड के दो गांवों में झारखण्ड सरकार फोर्टिफाईड चावल देने की योजना के पायलट प्रोजेक्ट पर 2021 से काम कर रही है. भारत सरकार देश के विभिन्न जिलों में इसके पायलट प्रोजेक्ट पर 2019 से काम कर रही है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर अथवा राज्य स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों का विश्लेषण किये बिना ही झारखण्ड के कई जिलों में और देश के भी कई जिलों में यह योजना सरकार ने लागू कर दिया है. फोर्टिफाईड चावल देने की योजना का जन स्वास्थ्य पर कुप्रभाव के बारे में विस्तृत अध्ययन आवश्यक है.



चाकुलिया प्रखण्ड के दो गांवों का, जहां इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है, दौरा करने के उपरांत ये लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचें हैं कि आम जनता फोर्टिफाईड चावल को स्वीकार नहीं कर रही है और इसके माध्यम से ‘ रक्त अल्पता’ दूर करने तथा जनता के बीच पोषण पहुंचाने की धारणा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है.
ऐसे बनता है फोर्टीफाईड चावल
संक्षेप में फोर्टिफाईड चावल तैयार करने की प्रक्रिया यह है कि पहले चावल को पीस दिया जाता है उसके बाद इसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 युक्त रसायनिक पदार्थ मिलाया जाता है. फिर इस मिश्रण को औद्योगिक प्रक्रिया से गुजार कर पुनः चावल का आकार दिया जाता है. इस तरह से तैयार फोर्टिफाईड चावल को राशन में दिये जाने वाले चावल के साथ एक प्रतिशत के अनुपात में मिला दिया जाता है और इसे राशन की विभिन्न दुकानों पर लाभुकों को दिया जाता है.
पायलट प्रोजेक्ट इलाकों के लाभुकों का कहना है कि चावल पकाने के समय फोर्टिफाईड चावल का अंश चिपचिपा हो जाता है, उसका स्वाद अलग हो जाता है ओर माड़ पसाने के दौरान झाग बनकर उसका बड़ा हिस्सा बाहर निकल जाता है. फोर्टिफाईड चावल हल्का है और जब इसे पानी में डाला जाता है तो राशन का चावल नीचे बैठ जाता है और यह उपर तैरने लगता है. इस कारण से लोगों के बीच इसके प्लास्टिक चावल होने की धारणा बनने लगी है.
अब सरकार इसे व्यापक पैमाने पर देश और झारखण्ड के सभी राशन दुकानों से मुहैया कराने की योजना बना रही है तो यह जानना स्वाभाविक है कि-
- फोर्टिफाईड चावल का कितना पोषक तत्व खाना खानेवाले के पेट तक पहुंच पाता है ?
- जिन लोगों के शरीर में आयरन की कमी नहीं है, उनके शरीर में फोर्टिफाईड चावल का आयरन जमा होने का खतरा पैदा हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकासानदेह है.
- इस चावल से बने भात का उपयोग बासी भात के रूप में करना संभव नहीं हो पा रहा है और इसे पानी में मिलाकर खाना भी संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इससे चावल का स्वाद बदल जा रहा है और एक अलग स्वाद और गंध इससे आने लग रहा है.
- फोर्टिफाईड चावल को वैसे लोग नहीं खा सकते है, जिन्हें थैलेसेमिया की बीमारी है अथवा जिन लोगों को सिकल सेल (एनिमिया) की बीमारी है. उन्हें यह चावल चिकित्सक की सलाह पर ही खाना होगा. उल्लेखनीय है कि झारखण्ड में बड़े पैमाने पर लोगों को थैलेसेमिया और सिकल सेल (एनिमिया) की बीमारी है. ऐसे लोग भी फोर्टिफाईड चावल खाने के लिए बाध्य होंगे तो जन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
सरकार के पास कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि फोर्टिफाईड चावल खानेवाले की जमात में से थैलेसेमिया और सिकल सेल (एनिमिया) के मरीजों की पहचान की जा सके. फोर्टिफाईड चावल का उपयोग करने संबंधी निर्देश की जानकारी का एक चित्र संलग्न है.
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