
GYANRANJAN
Ranchi : झारखंड भाजपा के प्रभारी दिलीप सैकिया का पहला झारखंड दौरा सांगठनिक और राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सैकिया तीन दिन झारखंड प्रवास पर रहे. इन तीन दिनों में उन्होंने बूथ से लेकर राज्य स्तर के कार्यकर्ताओं को साधने का काम किया. विधानसभा चुनाव में मिली हार और उसके बाद हुए उपचुनाव में मिली हार से निराश और हताश कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास भरने का काम किया.
तीन दिनों में सैकिया ने संगठन के तय एजेंडे से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को जोड़ने का प्रयास किया. उन्होंने तीन दिनों में संगठन से जुड़े हर विभाग, प्रकोष्ठों, जिला स्तरीय पदाधिकारियों, मंच-मोर्चा के पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों के साथ बैठकें की. एक ही मंत्र दिया हार की निराशा से बहार निकलें और विजय पथ की राह तलाशें. सैकिया ने सिर्फ रांची में बैठकर संगठन को नहीं टटोला बल्कि वे गुमला भी गए, दो-दो मंडलों में जाकर वहां कार्यकर्ताओं का नब्ज टटोला.


एक-एक बिंदु पर की चर्चा




18 दिसंबर को सैकिया रांची पहुंचे. सबसे पहले उन्होंने कोर कमिटी के साथ बैठक की और राज्य की राजनीतिक हालत पर चर्चा की. इसके बाद विधायक दल, मंच-मोर्चा और जिला अध्यक्षों के साथ बैठक कर संगठन का व्योरा लिया. 19 दिसंबर को गुमला गए वहां के संगठन का जायजा लिया. हटिया और गोंदा मंडल के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर बूथ स्तर पर चल रही सांगठनिक गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की.
यानि संगठन की सबसे छोटी इकाई बूथ से लेकर राज्य स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठे. एक-एक बिंदु पर कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा की. पहले विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से भाजपा उबरी नहीं थी की दुमका और बेरमो में हुए उपचुनाव में मिली हार से पार्टी के कार्यकर्ता ठंडाने लगे थे. उस ठंड को भगाने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के इरादे से ही झारखण्ड भाजपा के प्रभारी दिलीप सैकिया तीन दिवसीय दौरे पर रांची आये थे.
इस क्रम में उन्होंने ने जो टॉनिक दी है, उससे भाजपा एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में मजबूती से उतरेगी और राजनीतिक रूप से और अधिक आक्रामक रुख अख्तियार करेगी. कार्यकर्ताओं की मानें तो झारखंड प्रभारी का दौरा भाजपा को नयी ऊर्जा दे गयी है. पार्टी का मनोबल निश्चित रूप से मजबूत हुआ है. पार्टी के तमाम नेता-कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि पार्टी अब दोगुने जोश के साथ झारखंड के लोगों की सेवा करेगी. विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी में मायूसी का जो आलम था, वह अब खत्म हो गया है. इसलिए पार्टी अब अधिक ताकत और उत्साह के साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका निभायेगी.
रणनीति भी बनी
बीजेपी के झारखंड प्रभारी दिलीप सैकिया के तीन दिवसीय झारखंड दौरे के दौरान हुई बैठकों में सांगठनिक और राजनीतिक मोर्चे पर आगे बढ़ने की रणनीति बनायी गयी. हर बैठक में दिये गये टास्क और इस टास्क के साथ भविष्य में चुनाव जीतने का मुद्दा प्रमुख रहा. मुख्य रूप से बूथ को मजबूत करने पर जोर दिया गया. बैठक में यह भी तय हुआ कि अब भाजपा सत्ता पक्ष के राजनीतिक हमलों पर चुप बैठने के बजाय काउंटर अटैक करेगी. कहा जा रहा है कि दिलीप सैकिया राजनीति की बिसात पर अपनी चाल चल गये हैं, जिसका असर आनेवाले समय में देखने मिलेगा.
नए साल के पहले सप्ताह नड्डा का प्रवास
नए साल के प्रथम सप्ताह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का झारखंड में तीन दिनों का प्रवास है. इस दौरान वे बूथ से लेकर राज्य स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे. संगठनिक कामकाज की समीक्षा करेंगे. राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यक्रम को ध्यान में रखकर प्रदेश भाजपा सांगठनिक मजबूती पर पूरा फोकस किये हुए है. पहले झारखंड भाजपा के सह प्रभारी और उसके बाद प्रभारी का दौरा इसी उद्येश्य को लेकर था. जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का झारखंड प्रवास मुख्यत: संगठन की मजबूती को लेकर है. वह प्रदेश के नेताओं के साथ संगठन को नयी दिशा देने और भावी कार्यक्रमों पर मंथन करेंगे. नड्डा के कार्यक्रम को ध्यान में रखकर झारखंड भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है. पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का काम भी लगभग खत्म हो गया है.
बरकरार रखें कार्यकर्ताओं का मनोबल
झारखंड प्रभारी ने स्पष्ट तौर पर हिदायत दी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के झारखंड दौरे से पहले जिन-जिन जगहों पर संगठन का विस्तार नहीं हुआ है,उसे अंतिम रूप दिया जाय. उन्होंने पार्टी के नेताओं को टास्क भी दिया है कि कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं गिरने दें. कार्यकर्ता ही पार्टी की रीढ़ होते हैं. उनकी बदौलत ही चुनावी बाजी हम जीत सकते हैं. इसी मूलमंत्र के साथ अब पार्टी के नेता आनेवाले दिनों में क्षेत्र में कार्यकर्ताओं में जोश और ऊर्जा का संचार करने भी निकलेंगे. यह भी टास्क झारखंड प्रभारी ने दिया है. वैसे सरकार की एक साल की नाकामियों को भी जनता के बीच ले जाने को लेकर भाजपा कमर कस चुकी है.
जिन सीटों पर हारी है भाजपा, वहीं मुख्य फोकस
प्रदेश भाजपा का मुख्य फोकस वैसी विधानसभा है जहां पिछले चुनाव में उसे हर मिली है. यही वजह है कि प्रदेश प्रभारी का कार्यक्रम भी गुमला विधानसभा में कराया गया जहां भाजपा पिछले चुनाव में जीत नहीं पायी थी. रांची में भी प्रदेश प्रभारी का कार्यक्रम नामकुम में रखा गया, यह क्षेत्र खिजरी विधानसभा में आता है, यह सीट भी भाजपा के हाथ से निकल गयी थी.
इससे पहले भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का चार दिनों का कार्यक्रम संथालपरगना और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कार्यक्रम कोल्हान में हुआ जहां भाजपा पिछले चुनाव में फिसड्डी साबित हुई थी. भाजपा का सांगठनिक फोकस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी को जिन इलाकों में शिकस्त मिली है, वहां ज्यादा फोकस कर रही है.