
Anil Pandey
Dhanbad: बेरोजगारों को भत्ता देने की सीएम हेमंत सोरेन की घोषणा के बाद धनबाद नियोजनालय में बेरोजगारों की भीड़ उमड़ने लगी है. लेकिन इस भीड़ से निपटने के लिए नियोजनालय में कर्मियों की घोर कमी है.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि जिस नियोजनालय को खुद सहारे की जरूरत है, वह बेरोजगारों का कितना सहारा बन पायेगा. बेरोजगार बताते हैं कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद उनके अंदर एक नयी उम्मीद का संचार हुआ है.


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लेकिन नियोजन कार्यालय में कर्मियों की कमी के कारण जो काम एक दिन में होना चाहिए, उस काम के लिए उन्हें दो से चार दिन का समय लग रहा है. जिन लोगों ने पहले रजिस्ट्रेशन करवा लिया है, वे लोग अब रिन्यूअल करवाने के लिए नियोजनालय का चक्कर लगा रहे हैं. साथ ही जो नये बेरोजगार हैं वे लोग रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए नियोजन कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.
20 वर्षों से नियोजन कार्यालय में नहीं हुई है बहाली
वही धनबाद नियोजन पदाधिकारी प्रत्यूष शेखर का कहना है कि बेरोजगारी भत्ता देने संबंधी अभी कोई आदेश नहीं मिला है. वैसे पहले से ही यहां पूरे जिले में लगभग 21 हजार से अधिक बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन किया हुआ है और मुख्यमंत्री के आदेश आने के बाद अब इसकी संख्या में भारी बढ़ोतरी होने की संभावना है.

मुख्यमंत्री के निर्देश के द्वारा सभी प्रखंड स्तर पर भी रजिस्ट्रेशन करवाये जा रहे हैं. लेकिन सवाल उठता है कि जिस नियोजनालय में निबंधन के बाद बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा, वह खुद उपेक्षित है.
20 वर्षों से यहां किसी पद पर किसी की बहाली नहीं हुई है. जिस कारण यहां मैन पावर की घोर कमी हो गयी है. अवर प्रादेशिक नियोजन कार्यालय धनबाद की बात करें तो कुल स्वीकृत पद 44 हैं, लेकिन सिर्फ 11 कार्यरत हैं और 33 पद खाली पड़े हैं. यहां यूडीसी और एलडीसी का भी पद खाली है. साथ ही क्लर्क भी नही हैं.
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धनबाद नियोजनालय में खाली हैं कई पद
धनबाद नियोजनालय में 46 कर्मी होने चाहिये लेकिन मात्र 26 कर्मी ही हैं. सहायक निर्देशक 15 होने चाहिए जहां मात्र आठ हैं. उप निर्देशक 5 होने चाहिए थे, लेकिन एक भी नहीं है. संयुक्त उप निर्देशक में एक पद है लेकिन वह भी नहीं है.

हेड क्लर्क 18 होने चाहिए थे लेकिन इसमें 15 पद खाली हैं. उच्च लिपिक में 63 पद हैं, जिसमें मात्र 15 कर्मी हैं. निम्न वर्गीय लिपिक में जहां 99 कर्मी होने चाहिए वहां मात्र नौ हैं. जूनियर स्टैटिक्स 22 होने चाहिए थे जो पूरी तरह से खाली है. कनीय नियोजन में सात में से सभी सातों पद खाली हैं.
राजपत्रित में 371 कार्यरत होने चाहिये थे, लेकिन 271 पद खाली हैं और मात्र 100 अराजपत्रित कर्मी काम कर रहे हैं. लिपिक की बात करें तो यहां एक भी लिपिक नहीं है. वहीं नियोजनालय में एक भी क्लर्क नहीं हैं.
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