
Akshay Kumar Jha
Ranchi: सीनियर आईएएस पूजा सिंघल के घर ईडी रेड. चुनाव आयोग में सीएम हेमंत सोरेन के नाम पर पत्थर खदान का मामला. कोर्ट में शेल कंपनी और पत्थर खदान का मामला. इन बातों से साफ जाहिर है कि झारखंड सरकार संकट में है. संकट से उबरने के लिए रास्ते तलाशे जा रहे हैं. बीजेपी ने झारखंड में अपनी राजनीतिक गिरफ्त काफी मजबूत कर ली है. चौतरफा घिरी हेमंत सरकार बीजेपी की ग्रिप को ढीला करने का भरसक प्रयास कर रही है. सरकार के थिंक टैंक नए-नए आइडिया दे रहे हैं. लेकिन इन सबसे यही साबित हो रहा है कि जेएमएम बीजेपी पर कानूनी गिरफ्त कसना चाह रही है और बीजेपी जेएमएम पर. झारखंड सरकार की तरफ से मीडिया के वाट्स ऐप ग्रुप में एक मैसेज डाला गया. जिसमें यह लिखा था कि “झारखंड सरकार ने विधानसभा भवन निर्माण एवं उच्च न्यायालय भवन निर्माण में हुई सभी अनियमितताओं की जांच न्यायिक कमीशन से कराने का आदेश दिया है”.
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एसीबी को जांच का आदेश और विभागीय कार्रवाई


नया विधानसभा भवन और हाईकोर्ट भवन बनाने की निविदा रघुवर सरकार के कार्यकाल में निकाली गयी थी. विधानसभा भवन बनकर तैयार हो गया और हाईकोर्ट का काम जारी है. दोनों भवनों का निर्माण का काम रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को मिला. उसी वक्त से दोनों भवन विवाद में हैं. दोनों भवनों में वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे. अपनी सरकार की पहली विधानसभा सत्र में ही हेमंत सोरेन ने कहा था कि झारखंड में इतनी बड़ी राशि से बने भवनों की जरूरत नहीं थी. कहा कि पहले राज्य के मूलभूत सुविधाओं की ओर सरकार का ध्यान होना चाहिए ना कि आलीशान भवनों की ओर. मीडिया में बार-बार दोनों भवन निर्माण में अनियमितता की बात आने के बाद बतौर सीएम हेमंत सोरेन ने एक जुलाई 2021 को वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए एसीबी को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया. वहीं हाईकोर्ट निर्माण के मामले में तीन सदस्यीय टीम बनायी गया और जांच शुरू की गयी.
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सीएम हेमंत सोरेन के एसीबी जांच आदेश के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अभी तक किसी भी नतीजे तक एसीबी नहीं पहुंच पायी है. लेकिन विभाग की तरफ से सितंबर माह में हाईकोर्ट निर्माण मामले में 14 इंजीनियरों पर कार्रवाई कर दी गयी. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी अनिमितता में विभाग के किसी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक जिनके देख-रेख में भवन निर्माण हो रहा था, उन्हें ही जांच रिपोर्ट सौंपी गयी. जांच के बाद कार्रवाई को देखते हुए कहा जाने लगा कि यह कार्रवाई कम और आईवाश ज्यादा लग रही है.
राजनीतिक गलियारों में इन बातों पर हो रही चर्चा
कहा जा रहा है कि एसीबी पूरी तरह से राज्य सरकार के कंट्रोल में होती है. फिर भी एक साल बीतने के बाद दोनों भवनों की जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी. पूरे मामले में किसी की गिरफ्तारी भी नहीं की गयी. भवन निर्माण विभाग के मंत्री खुद सीएम हेमंत सोरेन हैं, बावजूद इसके हाईकोर्ट निर्माण में हुई इंजीनियरों पर कार्रवाई क्या नाकाफी थी. अगर नाकाफी थी तो उसी वक्त विभागीय मंत्री की तरफ से हस्तक्षेप क्यों नहीं किया गया. क्यों जांच और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आईवाश करने का काम किया गया. इन तमाम बातों के अलावा यह भी कहा जा रहा है कि न्यायिक कमीशन से जांच का आदेश देकर पोलिटिकल प्रेशर जेएमएम बीजेपी पर बनाने की कोशिश कर रहा है.
इनपर हुई कार्रवाई
राजीव कुमार (कार्यपालक अभियंता), दीपक कुमार महतो (सहायक अभियंता), राजू किसपोट्टा (प्रभारी सहायक अभियंता), कनीय अभियंता विजय कुमार बाखला, सुजय कुमार, सरकार सोरेन, मनीष पूरन, अशोक कुमार मंडल, रास बिहारी सिंह (निलंबित अभियंता प्रमुख), राजीव कुमार सिंह (कार्यपालक अभियंता), प्रदीप कुमार सिंह (सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता), अरविंद कुमार सिंह (सेवानिवृत्त प्रभारी अभियंता प्रमुख), ज्योतिंद्रनाथ दास (सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता), सुनील कुमार सुल्तानिया (सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता) और ललित टिबड़ेबाल.
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