
Ranchi: देवघर में त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है. रविवार की शाम से ट्रॉली में फंसे 45 लोगों को आज दोपहर तक चले राहत कार्यों के जरिये बचा लिया गया है. हालांकि इस हादसे में तीन पर्यटकों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है. इतनी बड़ी दुर्घटना पर हाईकोर्ट की भी नजर गयी है. रोपवे सेवा को लेकर पूर्व में दायर जनहित याचिका पर वह सुनवाई करेगी. सीएम हेमंत सोरेन ने भी इस घटना की जांच कराने की बात कही है.
पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन भी रोप वे संचालन में लगी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने का भरोसा दिलाया है. पर ऐसा नहीं है कि रोपवे संचालन में खामी का मसला आज का विषय है.
इसमें गड़बड़ियों को लेकर पूर्व में भी राज्य सरकार के शीर्ष स्तर से पैसों की बंदरबांट और अन्य गड़बड़ियों को पकड़ा गया था. इस आधार पर इसकी गहरायी से जांच और एसीबी में प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गयी थी.


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वित्त विभाग की आपत्ति
पूर्व वित्त सचिव राजबाला वर्मा ने तत्कालीन पर्यटन सचिव अरुण कुमार सिंह को लेटर लिखते हुए कहा था कि पर्यटन स्थलों को विकसित करने को आवंटित पैसों का सदुपयोग नहीं हुआ है. जिन पर्यटन स्थलों को विकसित किये जाने के लिये पैसे रिलीज हुए, उनमें देवघर की रोपवे सर्विस सेवा भी शामिल थी. इसमें पैसों की भारी वित्तीय अनियमितता हुई. इस मामले में एसीबी में केस दर्ज किया जाना चाहिये.
उन्होंने बताया था कि पर्यटन स्थलों के विकास के नाम पर पैसों के उपयोग में जान बूझकर बरती गयी लापरवाही के मसले पर वित्त विभाग के आंतरिक अंकेक्षण दल द्वारा आपत्ति जतायी गयी है. इसका अब तक निराकरण नहीं हुआ है. झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड, रांची ने (पत्रांक 329/09, 11.09.2009) इसके लिये पर्यटन विभाग को दोषी ठहराया है.
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पर्यटन वित्त सचिव ने कहा था कि उनके विभाग को 1.40 करोड़ का हिसाब पर्यटन विभाग से नहीं कायदे से नहीं मिला है. विभागीय आपत्ति के बाद आनन फानन में 74.20 लाख का टेंडर जारी किया गया था.
पूरी तरह से ऐसा लगता है कि 1.40 करोड़ रुपये गबन करने का प्लान था. इस योजना में पर्यटन विभाग, झारखंड और झारखंड राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के संबंधित पदाधिकारियों पर संलिप्तता अवश्यंभावी है.
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ऐसे में इनके विरूद्ध प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई के साथ साथ भारत पर्यटन विकास निगम लिमिटेड, अशोक क्रियेटिव के विरूध् भी ब्याज सहित पैसे की वसूली की जाये.
देवघर में पर्यटन के विकास कार्यक्रमों के अलावे अन्य स्थलों के विकास के लिये 40 करोड़ 11 लाख 52 हजार 748 रुपये की हेरा फेरी की गयी है. इसकी निगरानी से जांच करायी जाए. साथ ही झारखंड राज्य पर्यटन विकास निगम लि, आइटीडीसी, नयी दिल्ली के खिलाफ एफआईआर भी हो.
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