
Deoghar/Ranchi : बुढ़ई जलाशय योजना, देवघर के लिए अच्छी खबर है. चार दशकों से इस योजना को अपनी सूरत बदलने का इंतजार खत्म हुआ है. इस डैम के निर्माण पर करीब 400 करोड़ (388 करोड़ 56 लाख 643 रुपये की लागत आनी है. इसके लिए 16 सितम्बर को टेंडर जारी कर दिया गया है. अगले 5 सालों के भीतर इस पर काम पूरा हो जाने से स्थानीय स्तर पर लोगों को पेयजल, खेतीबाड़ी के लिए जलसंकट की समस्या दूर होगी. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने इस पहल के लिए केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है. कहा है कि पुनासी डैम की लड़ाई के बाद बुढ़ई जलाशय के लिए भी 400 करोड़ का टेंडर हुआ है. इस डैम का शिलान्यास 1978 में हुआ. पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर अब यह डैम संतालपरगना खासकर देवघर के लिए अनुपम तोहफा के तौर पर सामने आया है.
दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता,हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी @narendramodi जी के जन्मदिन पर संथालपरगना ख़ासकर देवघर को अनुपम तोहफ़ा मिला ।पुनासी डैम की लड़ाई के बाद बुढई डैम के लिए भी आज 400 करोड़ का टेंडर हुआ ।इस डैम का शिलान्यास 1978 में हुआ था। pic.twitter.com/jRfieSOr6B
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) September 17, 2022
बनता रहा चुनावी मुद्दा
गौरतलब है कि मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में बुढ़ई जलाशय योजना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा अरसे तक रहा. बारी-बारी से राज्य में सत्ता सुख भोगनेवालों के लिए यह चुनौती बना हुआ था. राज्य गठन के 22 साल में अब तक हुए विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों से बुढ़ई की जनता ने सिंचाई के लिए कई सवाल दागे थे.
43 सालों से बुढ़ई जलाशय योजना अधूरी पड़ी है. राज्य निर्माण के इतने सालों बाद भी किसी जनप्रतिनिधि व सरकार के स्तर से गंभीरता से सुध नहीं लेने की शिकायत लोग करते रहे, खासकर किसान. बुढ़ई जलाशय योजना का शिलान्यास पहली बार मार्च 1979 में जनता पार्टी के कार्यकाल में हुआ था. उस समय इसकी अनुमानित प्राक्कलित राशि 26 करोड़ रुपये थी. 10 वर्ष बाद इसकी लागत 64 करोड़ हो गई. इस राशि से जिले के देवघर, मधुपुर, सारठ, करौं व सारवां प्रखंड के 14500 हेक्टेयर भूमि में खरीफ व रबी की फसल की सिंचाई हेतु अलग-अलग व्यवस्था की जानी थी.
दूसरी बार इस योजना का शिलान्यास बिहार के तत्कालीन सिंचाई मंत्री केएन झा द्वारा जब किया गया था तो उस समय विभाग द्वारा योजना की लागत 90.36 करोड़ रुपये कर दी गई थी. इस राशि से बुढ़ई में पतरो नदी पर 5.7 किलोमीटर लंबा मिट्टी का बांध बनाया गया था. इसकी अधिकतम ऊंचाई 25.23 मीटर रखी गई थी. इसमें 113 मीटर स्पिलवे के निर्माण का भी प्रावधान था. नदी के दोनों किनारे से मुख्य नहरों को निकालने की योजना थी. इन नहरों में एक की लंबाई 40.18 व एक नहर की लंबाई 33.59 किलोमीटर थी. इस योजना अंतर्गत 3375 हेक्टेयर भूमि अर्जन की जानी थी. बुढ़ई जलाशय में 1740 हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आती है. इसके कारण 940 परिवार के विस्थापन एवं पुनर्वास हेतु चयन किया गया था. अलग राज्य निर्माण के बावजूद यह योजना अधर में ही 22 सालों तक अटकी रही. हालांकि इस अवधि में (सितम्बर 2019) बुढ़ई जलाशय योजना को फॉरेस्ट क्लियरेंस मिल गया था. इस प्रोजेक्ट के अधीन 541.23 हेक्टेयर वन भूमि के कारण यह मामला अटका हुआ था. राज्य सरकार ने पेंडिंग सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में गंभीरता दिखाई. अब जाकर इस जलाशय योजना को पूरा करने की उम्मीद बनी है. इससे देवघर में 40,583 हेक्टेयर भूमि सिंचित होने की संभावना बनी है.
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