
Girish Malviya
नाखून कटा कर शहीद होने के बराबर है. फोन से चाइनीज एप्प को डिलीट करने-कराने की बात करना. एक ओर तो आप चीन के उत्पादनों व प्रोडक्टों का लोगों द्वारा बहिष्कार का आह्वान करो और दूसरी ओर नरेंद्र मोदी जी अपने गृहराज्य में FDI के नाम पर चीनी कंपनियों को बुला-बुला कर उनकी फैक्ट्रियां लगवाए! माफ कीजिएगा पर यह स्वीकार नहीं किया जाएगा.
आप जानते है. मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने चीन की कितनी यात्राएं की हैं? गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने कुल चार दौरे किये थे. बतौर प्रधानमंत्री के बतौर वह 5 यात्राएं कर चुके हैं. चीन की ओर इन यात्राओं का एक ही उद्देश्य था. चीनी कंपनियों को गुजरात की ओर आकर्षित करना और उसमें वे सफ़ल भी हुए हैं. इस बात का आप अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि जब वर्ष 2017 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए थे, तो चीन के सरकारी समाचार पत्र में यह छापा गया था कि चीन चाहता है कि यह चुनाव भाजपा ही जीते.
आप यकीन नहीं कर पाएंगे, जो आप पढ़ने जा रहे हैं, लेकिन यह सच है. वर्ष 2017 में चीन की एसएआईसी मोटर कॉर्प गुजरात के पंचमहल जिले के हलोल में एक यात्री कार निर्माण संयंत्र लगाने की घोषणा की. और उस संयंत्र में 2,000 करोड़ निवेश की योजना बनायी. वर्ष 2019 में इस फैक्टरी से उत्पादन शुरू हो गया. कार का नाम है MG हैक्टर.
देखा देखी गुजरात में चीन की 10 से ज्यादा कंपनियों ने भारत के ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में निवेश का फैसला लिया. इन कंपनियों में चीनी ऑटोमोबाइल कंपनी ‘द ग्रेट वॉल मोटर्स कंपनी लिमिटेड’ ने 7000 करोड़ रुपए का निवेश करने को तैयारी की. नतीजा यह है कि देश के ऑटोमोबाइल का 40 प्रतिशत चीन के हाथ में चला गया है.
ऑटोमोबाइल छोड़िए स्टील इंडस्ट्री देखिए जनवरी 2019 में चीन की Tsingshan Industries लिमिटेड ने गुजरात के इस्कॉन ग्रुप के साथ मिलकर 21,000 करोड़ रुपये की लागत से गुजरात के धोलेरा में प्लांट लगाने की घोषणा की है. इसका भूमि पूजन मोदी से कराने की योजना थी, प्रोडक्शन शुरू करने के बाद यह भारत की सबसे बड़ी स्टील कंपनी बन जाएगी.
वर्ष 2007 से जितने भी वाइब्रेंट समिट हुए हैं. उनमें चीनी कंपनियां गुजरात सरकार के साथ एमओयू साइन करती रही हैं. इस प्रकार गुजरात में चीनी कंपनियों का दबदबा शुरू हो गया है. वर्ष 2015 में हुई समिट ने चीनी कंपनियों ने गुजरात में एसएमई टेक्सटाइल और औद्योगिक पार्क लगाने की घोषणा थी. अहमदाबाद के पास सानंद में चीनी कंपनियां टेक्सटाइल पार्क बनाने की बात फाइनल हो गयी थी. गुजरात सरकार ने चीन को गुजरात में टिंबर पार्क लगाने के लिए भी चाइना एसोसिएशन ऑफ एसएमई को न्यौता दिया है.
आप स्वंय जानते हैं कि वर्ष 2014 से ही जोर-शोर से आरएसएस द्वारा चीन के सामानों का बहिष्कार की मुहिम चलायी जा रही है. लेकिन असलियत क्या है. अब बताइये, आप चीन की एप्प अपने फोन से डिलीट कर भी देंगे तो चीन को क्या फर्क पड़ जाएगा? सोशल मीडिया पर चीनी एप्प डिलीट करने का अभियान चलाना आपको मूर्ख बना कर रखने के लिए ही चलाया जा रहा है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.