
New Delhi : किसान आंदोलन का आज 53वां दिन है. इस मौके पर भारत किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा. राकेत टिकैत ने कहा कि किसान सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सामने नहीं जाएंगे और सरकार को कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.
दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया कि एनआईए जैसी एजेंसियों के मार्फत नोटिस भिजवाकर किसान नेताओं को डराने का प्रयास किया जा रहा है.
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उन्होंने केंद्र सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह नये कृषि कानूनों को लेकर वार्ता में अगंभीर रही है और कहा कि सरकार केवल ‘‘किसानों को थकाने का प्रयास कर रही है.’’
बादल ने कहा, ‘‘साथ ही वह (केंद्र सरकार) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) जैसी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से नोटिस भिजवाकर किसानों को डराने का प्रयास कर रही है. किसान देश विरोधी नहीं हैं. हम इसकी (नोटिस भेजे जाने की) निंदा करते हैं.’’
अकाली दल के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों को ‘‘नक्सली और खालिस्तानी’’ बताकर उन्हें बदनाम करने का प्रयास कर रही है.
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उन्होंने कहा कि शिअद हमेशा किसानों के साथ खड़ा रहा है और जब सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, तो उसने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) छोड़ दिया. बादल ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की भी आलोचना करते हुए आरोप
राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष ने सरकार के रुख पर नाराज़गी जताई
राष्ट्रीय किसान मंच के प्रमुख शेखर दीक्षित ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति सरकार के ‘उदासीन रवैये’ पर नाराजगी जताई है.
संवाददाताओं से यहां मुलाकात में उन्होंने कहा, ‘‘सरकार में बैठे नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका यह सौतेला व्यवहार किसानों में उनके लिए प्रतिशोध पैदा करने वाला हो सकता है क्योंकि वे भाजपा की अगुवाई वाली सरकार से समर्थन वापस लेना भी जानते हैं.’’ दीक्षित ने कहा कि सरकार के ‘उदासीन रवैये’ के चलते किसानों को सर्द मौसम में विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
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