
Manoj Mishra
Dhanbad: शिक्षा विभाग में बिना घूस दिये कोई भी काम कराना मुश्किल होता जा रहा है. हर काम के लिए घूस देना ही पड़ता है. घूस नहीं देने वाले शिक्षक या विभाग के कर्मचारियों के काम को लटकाया जाता है. इसके कई उदाहरण हैं. हालात इतने खराब हो गये हैं कि अब शिक्षा निदेशक को घूसखोरी रोकने के लिए निर्देश जारी करने पड़े हैं औऱ शिक्षकों से अपील करनी पड़ी है.
किन-किन कामों के लिए मांगा जा रहा घूस
- बकाया वेतन की निकासी
- सेवा पुस्तिका सत्यापन करने
- प्रमाण नंबर निर्गत करने:
- सेवानिवृति लाभ के लिए
- पेंशन के लिए
- जीपीएफ अंतरिम भुगतान
- अनुकंपा पर नौकरी के लिए
- वेतन फिक्शेसन करने के लिए
- वेतन शुरू कराने
- समायोजन
- शेष राशि का भुगतान
- पदोन्नति
- वेतन निर्धारण
- शिक्षा निदेशक ने दिया निर्देश
माध्यमिक शिक्षा निर्देशक ने पिछले दिनों के पत्र जारी किया है. पत्र से पता चलता है कि विभाग में घूसखोरी की समस्या कितनी विकराल स्थिति में पहुंच गयी है. उन्होंने शिक्षकों और कर्मचारियों से अपील की है कि अगर किसी को द्वारा घूस मांगा जाता है, तो इसकी जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को दें. सभी क्षेत्र शिक्षा उप निदेशक और जिला शिक्षा पदाधिकारियों को जारी पत्र में कहा गया है कि डीईओ कार्यालय में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी से लेकर एसपी तक के अफसरों के नंबर दिवाल पर लिखवायें. टॉल फ्री नंबर पर प्राप्त शिकायतों का तुरंत निराकरण करें. शिकायत पंजी की साप्ताहिक समीक्षा करें और इसकी रिपोर्ट निदेशालय को भेजें.
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घूसखोरी के हैं ऐसे-ऐसे मामले
घूसखोरी के कुछ मामलों को हम यहा प्रकाशित कर रहें हैं. पीड़ित शिक्षकों के अनुरोध पर हम उनके नाम का खुलासा नहीं कर रहे हैं.
केस हिस्ट्री-01- एक शिक्षक ने बताया है कि अपने सेवानिवृत्त लाभ के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज विभाग को उपलब्ध करा दिये थे. धनबाद कार्यालय को फाइल राज्य मुख्यालय भेजना था. लेकिन 15 दिन बाद भी यह फाइल डीएसई कार्यालय में दबी पड़ी रही. शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो गये. लेकिन पेंशन से लेकर सेवानिवृत्ति लाभ से संबंधित कोई भी फाइल आगे नहीं बढ़ी. नियम है कि सेवानिवृत्ति के साथ ही शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों को पेंशन व सभी लाभ मिल जाने चाहिए. संबंधित शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी को सेवानिवृत्ति से पहले ही आवश्यक सभी दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध कराने होते हैं.
केस हिस्ट्री-02- एक शिक्षक का निधन एक वर्ष पूर्व हो गया था. नियमत: उनके बेटे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिलनी है. इसके लिये जिला अनुकंपा समिति ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है. लेकिन डीईओ कार्यालय द्वारा करीब दो माह तक उसे नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया.
केस हिस्ट्री-03-एक सेवानिवृत्ति शिक्षक ने बताया कि सेवानिवृत्ति लाभ लेने के लिए शिक्षा विभाग में आवेदन दिया था. लेकिन, विभाग के बड़ा बाबू सेवानिवृत्ति का लाभ देने के एवज में तीस हजार रुपये घूस की मांग कर रहे थे. जब तक घूस नहीं दिया. तब तक लाभ नहीं मिला.
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हर काम का रेट तय
बकाया वेतन की निकासी: 5 से 10 %
सेवापुस्तिका सत्यापन करने-3-5 हजार
प्रान नंबर निर्गत करने: 10-15 हजार
सेवानिवृति लाभ के लिए: 50-एक लाख
पेंशन के लिए: 30-50 हजार
जीपीएफ अंतरिम भुगतान: 5-10%
अनुकंपा पर नौकरी के लिए: 3-5 लाख
वेतन फिक्शेसन करने के लिये: 10-20 हजार
वेतन शुरू कराने: 5-10 हजार
समायोजन: 10-15 हजार
अवशेषों का भुगतान: 5-10%
पदोन्नति(जिला स्तर पर ): 25 हजार
वेतन निर्धारण: 5 हजार
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