
Ranchi/Bokaro : कोरोना के टीके की वजह हुई परेशानियों की कई कहानी आपने तो जरूर सुनी होगी, पर एक कहानी ऐसी भी है जहां जिंदगी फिर से पैरों पर दौड़ने को तैयार है.
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जी हां, यह कहानी है बोकारो जिले के रहने वाले 55 वर्षीय दुलारचंद मुंडा की. जीने की उम्मीद खो चुके दुलारचंद को फिर से नयी जिंदगी मिली है कोरोना के वैक्सीन कोविशिल्ड से.
जानिए क्या है पूरी कहानी
बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड के उतासारा पंचायत अंतर्गत सलगाडीह गांव के रहने वाले हैं 55 वर्षीय दुलारचंद मुंडा. तकरीबन पांच साल से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे. करीब पांच वर्ष पूर्व एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था. इलाज होने के बाद वह ठीक तो हो गया ,लेकिन उसके शरीर का अंग काम करना बंद कर दिया था. इसके साथ उसकी आवाज भी लड़खड़ाने लगी थी. 1 साल से उसकी जिंदगी चारपाई में ही बीत रही थी. वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था. घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य के अस्वस्थ हो जाने के कारण परिवार के समक्ष रोजी- रोटी के लाले पड़ने लगे. बीते दिनों उन्हें कोरोना का वैक्सीन कोविशिल्ड दिया गया. जिसके बाद न सिर्फ उनकी लड़खड़ाती आवाज बेहतर हो गई. बल्कि उसके शरीर में नयी जान आ गयी.
क्या कहते हैं लोग
इस बाबत पंचायत की मुखिया सुमित्रा देवी व पूर्व मुखिया महेंद्र मुंडा ने भी इसे वैक्सीन का असर बताया है. इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी डॉ अलबेल केरकेट्टा के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका की ओर से चार जनवरी को उसके घर मे जाकर वैक्सीन दिया गया था और पांच जनवरी से ही उसके बेजान शरीर ने हरकत करना शुरू कर दिया था. उन्होंने बताया कि उसे इस्पाइन का प्रॉब्लम था. जिसका कई तरह का रिपोर्ट हमने देखा भी था. बहरहाल यह एक जांच का विषय बन गया है. वहीं जिले के सीविल सर्जन डॉ जितेद्र कुमार ने कहा यह आश्चर्य करने वाली घटना है.