
Ranchi: राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स को हाईटेक बनाया जा रहा है. वहीं विभाग लगातार बिल्डिंग का विस्तार भी कर रहा है. इस दौरान गंभीर मरीजों के इलाज के लिए सेंट्रल इमरजेंसी सह ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया ताकि मरीजों को इलाज के लिए गैलरी में न रहना पड़े. लेकिन ट्रामा सेंटर बनाए जाने के बाद भी वहां पर गंभीर मरीजों का इलाज नहीं किया जा रहा है.
चूंकि कोरोना ने न्यूरो वार्ड में इलाज करा रहे मरीजों की बेहतर सुविधा पर ब्रेक लगा दिया है. जिसका खामियाजा न्यूरो वार्ड में इलाज के लिए आने वाले मरीज भुगत रहे है. इतना ही नहीं मरीज मजबूरी में न्यूरो के गैलरी में जमीन पर इलाज करा रहे हैं. वहीं ठंड के साथ बारिश के समय तो उनका दर्द और बढ़ता जा रहा है. ऐसे मे वे किसी तरह प्लास्टिक बांध कर इलाज करा रहे है. बताते चलें कि ट्रामा सेंटर को गोविंद फ्री करने को लेकर पिछले महीने आदेश दिया गया था लेकिन कोरोना की वापसी ने इस पर ब्रेक लगा दिया.
इसे भी पढ़ें : बारिश के बाद कनकनी बढ़ी, अलाव को बनाया सहारा


कोविड के मरीजों का इलाज




हॉस्पिटल में 100 बेड का न्यू ट्रामा सेंटर में 50-50 बेड इमरजेंसी और ट्रामा के मरीजों के लिए हैं. लेकिन इस बिल्डिंग को प्रबंधन ने फिर से कोविड सेंटर बना दिया. आज रिम्स में कोविड के 78 पॉजिटिव मरीज इलाजरत है.
गंभीर मरीज भी जमीन पर
सेंट्रल इमरजेंसी में हर दिन 400 के करीब मरीज आते हैं. जिसमें 100 मरीज गंभीर स्थिति में आते हैं. ऐसे में उन्हें तत्काल आइसीयू में रखकर इलाज की जरूरत होती है. इसी को देखते हुए ही नया ट्रामा सेंटर बनाया गया था. बावजूद इसके गंभीर मरीज भी जमीन पर ही इलाज करा रहे हैं.
ठंड और बारिश ने बढ़ाई परेशानी
जमीन पर इलाज तक तो मरीजों को परेशानी नहीं हो रही थी. जमीन ही सही इलाज तो हो रहा है. लेकिन चिलचिलाती ठंड के बीच बारिश ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है. लगातार बारिश के कारण रिम्स न्यूरो वार्ड की गैलरी में पानी भर जा रहा है. ऐसी स्थिति में मरीजों को लेकर परिजन यहां-वहां भटक रहे हैं. वहीं कुछ लोग तो छाता और प्लास्टिक लेकर लेकर मरीजों को ठंड और बारिश से बचा रहे हैं.
इसे भी पढ़ें : 19 जनवरी से शुरू होगी नीट यूजी काउंसलिंग, झारखंड के सात कॉलेजों में 117 सीटों पर एडमिशन का मौका