
Ranchi: फूटवेयर व्यापार में अब दस प्रतिशत का भी कारोबार नहीं है. मार्च के पहले तक राज्य भर में दो सौ करोड़ का कारोबार किया जाता था. जबकि अब यह आंकड़ा सीमट गया है. लाॅकडाउन के बाद फूटवेयर व्यापार को अनुमति तो मिली लेकिन रौनक अब भी दूर है. झारखंड फूटवियर होलसेलर एसोसिएशन की मानें तो लगभग एक हजार बड़े और छोटे फूटवेयर दुकानें हैं. इनमें से लगभग 950 बंदी के कगार पर हैं. इनमें से 70 होलसेलर दुकानें हैं. लेकिन ये भी न के बराबर चल रही हैं. क्योंकि न ही इनके पास मांग है और न ही स्टाॅक.
सिर्फ राजधानी रांची में लगभग दो सौ के करीब फूटवेयर दुकानें हैं. जिनमें से अधिकांश दुकानें बंद होने वाली हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलशन कुमार सुनेजा ने बताया कि सिर्फ रांची जिला में फूटवियर जगत में हर महीने 25 करोड़ का कारोबार होता था. जबकि अब 80 लाख का भी कारोबार नहीं हो रहा. वहीं राज्य भर में दो सौ करोड़ का कारोबार किया जाता था. स्थिति बताते हुए गुलशन ने कहा कि ऐसी गरीबी आज तक नहीं देखी.
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आठ महीने से ज्यादा रखने पर खराब होता है माल
कारोबारियों की मानें तो लेदर के सामानों को आठ महीने से ज्यादा समय तक स्टाॅक नहीं रखा जा सकता. इसमें कई तरह की परेशानियां हैं. फिनिशिंग भी खराब होने लगती है. कई बार नमी के कारण इनमें फफूंदी पड़ जाती है. लाॅकडाउन के बाद अब छह महीने हो गये हैं, स्टाॅक खराब हो रहे हैं. पहले तो दुकानें बंद थी. लेकिन अब ग्राहक नहीं है. ग्राहक एक-दो आते भी हैं तो स्टाॅक नहीं होने के कारण खरीदारी नहीं है.
जानकारी के मुताबिक वाहनों की परेशानी नहीं रहती, तो बाजार में स्टाॅक रहता. लेकिन दिल्ली, कलकत्ता जैसे राज्यों से माल ही नहीं आ रहे. ऐसे में थोड़ा बहुत प्लास्टिक के चप्पलों की ही खरीदारी लोग कर रहे हैं.
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दिल्ली और कलकत्ता में 30% प्रोडक्शन
झारखंड फूटवियर एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलशन कुमार सुनेजा ने बताया कि देश भर में जूते-चप्पलों के प्रोडक्शन में कमी आयी है. दिल्ली और कलकत्ता में प्रोडक्शन किया जाता है. जहां सिर्फ 30 प्रतिशत ही प्रोडक्शन हो रहा है. उसी 30 प्रतिशत में पूरे देश में सप्लाई करना है. हालांकि वाहनों की कमी के कारण सप्लाई भी बंद है. देश की प्रमुख जूता निर्माता कंपनियों में रिलैक्सों फूटवियर लिमिटेड, कैंपस एक्वियर प्राइवेट लिमिटेड, खादिम्स, लखानी आदि हैं. जिनसे प्रोडक्शन प्रभावित है.
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टैक्स और लोन बढ़ा रही मुसीबत
इस सेक्टर में कब सब कुछ सामान्य होगा कहना मुश्किल है. ऊपर से टैक्स और लोन दुकानदारों की मुसीबत बढ़ा रही है. दुकानें भले बंद हैं लेकिन टैक्स देना है. लोन की किस्त भी है. भले ही कुछ दिनों तक बैंकों ने लोन नहीं लिया. लेकिन अब देना तो है. और एक बार देने से कारोबारियों पर और बोझ बढ़ेगा.
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