
Ranchi : दो से चार जुलाई तक राज्य के कोयला मजदूर हड़ताल पर रहेंगे. कमर्शियल माइनिंग के विरोध में मजदूर हड़ताल करेंगे. इस दौरान राज्य में कोयला खनन से लेकर ट्रांसपोटेशन तक बंद रहेगी.
एक अनुमान के मुताबिक, तीन दिनों में कोयला का लगभग 225 करोड़ रूपये का कारोबार प्रभावित होगा. राज्य में सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल के खानों से प्रतिदिन 75 करोड़ के कोयले का कारोबार किया जाता है. जिससे राज्य सरकार को राजस्व भी मिली है.आने वाले तीन दिनों तक ये कारोबार बंद रहेगा.
कोयला मजदूरों की ओर से इस दौरान एफडीआइ का भी विरोध किया जायेगा. जो केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल लागू की गयी थी. विरोध को समर्थन देने वाले संगठनों का मानना है कि केंद्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग से खनन का निजीकरण किया जायेगा.
जो अब तक कोल इंडिया के तहत है. हड़ताल राष्ट्र स्तर पर की जा रही है. वहीं कोल इंडिया ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी है कि नीलाम हो रहे 463 कोल ब्लॉक में से एक भी कोल ब्लॉक कोल इंडिया का नहीं है. कोल इंडिया अपने 170 बिलियन टन संसाधनों के साथ सुरक्षित है.
हालांकि मजदूरों की हड़ताल रोकने के लिए बुधवार को यूनियन के साथ कोयला मंत्री ने वार्ता भी की. लेकिन उसमें बात नहीं बनी और वार्ता विफल रही. इस लिहाज से अब कोयला मजदूर अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और 2 जुलाई से 4 जुलाई तक वे हड़ताल पर रहेंगे.
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एक लाख बीस हजार मजदूर रहेंगे हड़ताल में
नेशनल कोल ऑर्गेनाइनजेशन इंप्लायी एसोसिएशन के महासचिव आरपी सिंह ने जानकारी दी कि राज्य के मजदूर भी इस दौरान हड़ताल पर रहेंगे. कोयला खनन से लेकर ढुलाई पूरी तरह ठप रहेगा. मजदूरों की संख्या लगभग एक लाख बीस हजार है. जो हड़ताल पर रहेंगे.
ये ऐसे मजदूर हैं, जो कोयला खानों में खनन और ढुलाई में लगे रहते हैं. वहीं सीसीएल के लगभग 40 हजार, बीसीसीएल के 55 हजार, ईसीएल के लगभग 12 हजार कर्मी हड़ताल में शामिल होंगे. ठेका मजदूरी में लगभग एक लाख लोग काम करते हैं. सिर्फ ट्रांसपोर्टिंग में लगे लोगों की बात करें, तो इनकी संख्या 40 हजार है. हड़ताल में इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस और बीएमएस मजदूर संघ सक्रिय रहेंगे.
बीसीसीएल और सीसीएल की हैं अधिकांश खदान
राज्य में अधिकांश खदानें बीसीसीएल और सीसीएल की हैं. वहीं ईसीएल की मात्र 12 खदानें ही हैं. पिछले साल राज्य सरकार को इन कंपनियों से लगभग 3976 करोड़ रूपये की राजस्व वसूली हुई थी. राज्य में रामगढ़ और धनबाद जैसे जिले की अर्थव्यवस्था कोयला पर निर्भर है. जबकि बोकारो, हजारीबाग, गिरिडीह, चतरा जैसे जिलों में पर्याप्त मात्रा में कोयला है.
राष्ट्र स्तर पर 400 करोड़ का कारोबार प्रभावित
देशभर में एक दिन में 2.5 मिलियन टन कोयला खनन किया जाता है. एक दिन में देश को चार सौ करोड़ के कारोबार का नुकसान है. राष्ट्र स्तर के आंकड़ों की मानें तो, कोयला से मिलने वाली रॉयल्टी खनन पर निर्भर करती है.
लेकिन औसतन 60 हजार करोड़ तक हर साल केंद्र सरकार को प्राप्ति होती है. जो देशभर के 400 खदानों से मिलती है. जबकि झारखंड के लिए 38 हजार करोड़ तक है. राज्य के प्रमुख क्षेत्रों में मगध, पिपरवार, बड़काकाना, कुज्जू, रजरप्पा है.
कोयला मंत्री के साथ वार्ता भी विफल रही
कोल ब्लॉक नीलामी और कमर्शियल माइनिंग के विरोध में 2 से 4 जुलाई तक कोल सेक्टर में मजदूर हड़ताल पर रहेंगे. हालांकि बुधवार को कोयला मंत्री के साथ 4 ट्रेड यूनियनों की वर्चुअल वार्ता भी हुई जो विफल रही. जिसके बाद ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया.
बता दें कि कोल सेक्टर में हड़ताल रोकने के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ कोयला सचिव अनिल जैन ने वीडियो संवाद भी किया. लेकिन वार्ता विफल रही. जिसके बाद कोयला मंत्री ने वार्ता के लिए कोल यूनियनों को आमंत्रित किया था. कोल ट्रेड यूनियनों के साथ कोयला मंत्री की वार्ता भी विफल हो गयी.
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