
Ranchi : मिनी रत्न कम्पनी सीएमपीडीआइ द्वारा कोल इंडिया स्थापना दिवस-2021 समारोह का आयोजन किया गया. संस्थान के निदेशक (तकनीकी/आरडीएंडटी) आरएन झा ने इस अवसर पर कहा कि स्थापना काल नवम्बर, 1975 से कोल इंडिया का उत्पादन स्तर लगभग 79 मिलियन टन (एमटी) से कई गुणा बढ़ कर 2020-21 में 596 मिलियन टन हो गया. जिसको हासिल करने के लिए सीएमपीडीआइ ने कोल ब्लॉक्स की पहचान से लेकर विस्तृत ड्रिलिंग, प्रोजेक्ट प्लानिंग, पर्यावरणिक तथा अन्य सम्बद्ध सेवाओं द्वारा अपनी भूमिका निभायी है. देश के कुल कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की भागीदारी 83 प्रतिशत है.
वर्ष 2021-22 का कोयला उत्पादन लक्ष्य 670 मिलियन टन है जिसको हासिल करने के लिए सभी अनुषंगी कंपनी प्रयासरत है.
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वर्ष 2021-22 के दौरान अक्टूबर माह तक सीएमपीडीआइ ने 7.50 लाख मीटर प्रस्तावित एमओयू लक्ष्य के मुकाबले लगभग 3.80 लाख मीटर ड्रिलिंग की है तथा 8 जियोलॉजिकल रिपोर्ट्स के लिए 83.17 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को शामिल/कवर कर विस्तृत गवेषण के माध्यम से 4.29 बिलियन टन कोयला भंडार को प्रमाणित श्रेणी में लाया गया है.


इस मौके पर संस्थान के निदेशक (तकनीकी/पीएंडडी) एके राणा, निदेशक (तकनीकी/सीआरडी/ईएस) एसके गोमास्ता, मुख्य सतर्कता अधिकारी सुमित कुमार सिन्हा, क्षेत्रीय संस्थान-3 के क्षेत्रीय निदेशक जयंत चक्रवर्ती, जेसीसी सदस्य, सीएमओएआइ के प्रतिनिधि के अलावा सीएमपीडीआइ परिवार के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
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ये पुरस्कार मिले
कोल इंडिया स्तर पर सीएमपीडीआF को 3 पुरस्कार मिले हैं. ड्रिलिंग पुरस्कार- ड्रिलिंग लक्ष्य प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय संस्थान-1, सीएमपीडीआइ, आसनसोल के अधीन मल्लारपुर ड्रिलिंग कैम्प आनंदजी प्रसाद को दिया गया. इसके अलावा कोयला मंत्रालय में सलाहकार के पद पर कार्यरत क्षेत्रीय निदेशक पुरस्कार मानवेंद्र कुमार को पुरस्कार मिला. वहीं जीएम मुख्यालय सीएमपीडीआइ को भी पुरस्कार मिला.
इस अवसर पर सीएमपीडीआइ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बच्चों को भी संस्थान की ओर से सम्मानित किया गया जिन्होंने वर्ष 2020-21 में बेहतरीन शैक्षणिक उपलब्धियां हासिल की हैं.
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इनमें दसवीं कक्षा के सुनीत दत्ता, स्वर्णभ मोहंता, आदित्या रल्हन, अंकुश शांडिल्या, ज्योतिर्मय मन्ना, इशा कुमारी, जोया पॉल, गुंटुरू संजना, आकांक्षया दास एवं अतहर इमाम वहीं 12वीं कक्षा के दिव्जोत सिंह, अनुश्री आनंद एवं सुमित कुमार शामिल हैं.
कोविड-19 के कारण इन बच्चों को प्रत्यक्ष तौर पर सम्मानित नहीं किया गया बल्कि प्रशस्ति-पत्र इनके अभिभावक को और पुरस्कार राशि इनके बैंक खातों में दी जायेगी.
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