
Ranchi: रांची नगर निगम के अंतर्गत विकास से जुड़ी कई टेंडर प्रक्रिया आज भी अधर में लटकी हुई है. निगम ने कई बार सिटी बस, विद्युत शवदाह गृह को लेकर टेंडर जारी किया है. लेकिन किसी दबाव या अन्य कई कारणों से यह प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हो सकी है. ऐसे में करोड़ों रुपये के सामान आज बर्बादी के कगार पर है.
बकरी बाजार स्थित निगम के स्टोर रुम में पड़ी सिटी बसों की बात करें या हरमू मुक्तिधाम स्थित विदुयत शवदाहगृह के मशीनों और भवन की. टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने के कारण आज यह सड़ रही है. इन टेंडरों के अलावा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के एचईसी क्षेत्र में बिछायी जाने वाली जलापूर्ति पाइपलाइन योजना भी इसी कड़ी से जुड़ी है. यह पाइपलाइन एचईसी क्षेत्र में बनने वाले स्मार्ट सिटी और ग्रेटर रांची एरिया में बिछायी जानी है. इस संदर्भ में कई बार टेंडर निकाला गया है, लेकिन किसी ने इसपर कोई रुचि नहीं दिखायी है.
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सिटी बसों के टेंडर पूरा नहीं होने से निगम परेशान




बकरी बाजार स्थित निगम के स्टोर रूम में पड़ी 66 सिटी बसों को सड़क पर उतारने की योजना आज भी पूरी नहीं हो सकी है. टेंडर प्रकिया नहीं हो सकने से ये बसें आज सड़ने की कगार पर हैं. इन बसों को चलाने के लिए निगम ने अबतक 9 बार टेंडर निकाल चुका है. इसके बावजूद किसी भी बस ऑपरेटर ने इसे चलाने में कोई रुचि नहीं दिखायी है.
ऑपरेटरों की मनमानी से हो रही परेशानी
सिटी बसें के टेंडर पूरी नहीं होने के संभवतः कारणों की बात करते हुए नगर प्रबंधक सौरभ कुमार वर्मा का कहना है कि शहर के ही एक ऑपरेटर समूह का अन्य सभी बस ऑपरेटरों पर टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का दबाव बनाना है. इन ऑपरेटरों की मांग है कि सभी बस चलाने का जिम्मा निगम उन्हीं को दें. अब जबकि नये नगर आयुक्त मनोज कुमार बुधवार से निगम के कार्य को देखने वाले हैं. ऐसे में जल्द ही उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी जाएगी, ताकि इन सिटी बसों को जल्द ही सड़कों पर उतारा जा सके.
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नहीं सुलझा विद्युत शवदाह गृह का मामला

निगम के टेंडर प्रकिया फंसने के मामले में हरमू मुक्तिधाम स्थित विदुयत शवदाहगृह का मुद्दा भी प्रमुख है. निगम ने इस शवदाह का निर्माण वर्ष 2008-2009 में कराया था. वर्तमान हालत यह है कि इसमें ताला लटका हुआ है. शवदाह गृह के दरवाजे, खिड़की, उपकरण चोरी हो गये हैं. इस शवदाहगृह के जीर्णोद्धार के लिए निगम ने छठी बार टेंडर निकाला है. इसके बावजूद किसी भी कंपनी ने इस पर कोई रुचि नहीं दिखायी है. भाजपा सासंद महेश पोद्दार ने भी इस मामले पर एक ट्वीट कर कहा है कि बार-बार टेंडर निकालना समझ से परे है. एक संस्था विशेष ने इसे चलाने का प्रस्ताव भी दिया है. इसके लिए एक मसौदा भी तैयार किया गया था. शवदाहगृह को लेकर कुछ वर्ष पहले यह बात सामने आयी थी कि डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, वार्ड नंबर 26 के अरुण झा, निगम के कार्यपालक इंजीनियर विजय कुमार भगत के चंडीगढ़ जाकर इस शवदाह संचालन की प्रकिया को समझेगें.
पब्लिक डोमेन में डाला गया है मामला
न्यूज विंग से बातचीत में डिप्टी मेयर ने बताया है कि प्रशांत कुमार के नगर आयुक्त रहने के दौरान विद्युत शवदाह गृह पर एक विशेष पहल भी की गयी थी. एक कंपनी ने इस पर रुचि भी दिखायी, लेकिन टेक्निकली समस्या के कारण उसे यह टेंडर नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही पब्लिक डोमेन में यह बात डाली गयी है. कोशिश होगी कि इस शवदाहगृह को जल्द शुरु किया जा सके.
जलापूर्ति पाइपलाइन की रूकी है टेंडर प्रकिया
इसी तरह से टेंडर पूरा नहीं होने का एक मामला पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से भी जुड़ा है. स्मार्ट सिटी और ग्रेटर रांची एरिया में जलापूर्ति पाइपलाइन बिछाने के लिए विभाग ने कई बार टेंडर निकाला है. इसके बावजूद इस टेंडर में भी किसी ने रुचि नहीं दिखायी है. हाल ही में विभाग ने फिर से एक टेंडर निकाला है. यह पाइपलाइन हटिया डैम से स्मार्ट सिटी और ग्रेटर रांची तक पाइप लाइन बिछाने से संबंधित है. विभाग के मुताबिक योजना की अनुमानित राशि करीब 14.31 करोड़ है.