
Ranchi: झारखंड व देश के अन्य क्षेत्र के सैंकड़ों सचेत नागरिकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. राज्य सरकार द्वारा लगातार वादों के बावज़ूद स्कूल व आंगनवाड़ियों में रोज़ अंडे नहीं दिए जाने का विरोध किया है. करीब 200 नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सीएम को लिखे पत्र के जरिये कहा है कि अभी तक सरकारी विद्यालयों में कक्षा 1-8 के बच्चों को सप्ताह में दो दिन अंडे दिए जा रहे हैं. आंगनवाड़ी में तो एक भी दिन नहीं. पूर्व में कक्षा 1-8 के बच्चों को प्रति सप्ताह पहले तीन अंडे दिये जाते थे. जनवरी 2019 में पिछली भाजपा सरकार में इसे घटाकर 2 अंडा कर दिया गया. राज्य में नयी सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद दो की जगह पांच अंडे दिये जाने का वादा किया गया था. पर अब भी केवल दो ही मिल रहे हैं. बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए अंडा एक बेहतरीन खाद्य पदार्थ है. इसमें विटामिन सी के अलावा अन्य अधिकांश आवश्यक पोषक तत्व हैं. कई राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना में पांच अंडा प्रति सप्ताह दिये जाने का अच्छा परिणाम दिखा है. झारखंड में तो कुपोषण एक बड़ी समस्या रही है. ऐसे में यहां भी पांच अंडा दिया जाना उचित रहेगा.

झारखंड सरकार ने स्कूल व आंगनवाड़ियों में रोज़ अंडे देने का वादा कई बार किया है लेकिन आज तक वादा घोषणाओं तक ही सीमित है. आंगनबाड़ी में भी प्रति दिन अंडे देने की जरूरत है. वर्तमान सरकार ने इसके लिए जो वादा किया था, वह अब भी अधूरा है. खबरों के अनुसार, आंगनबाड़ी में अंडे देने के लिए निजी ठेकेदारों को केंद्रीकृत ठेके की व्यवस्था की जा रही है जिसके कारण अंडा देने में देरी हो रही है. आंगनबाड़ी कर्मी स्थानीय स्तर पर ही अंडा खरीद सकती हैं. केंद्रीकृत ठेके में करप्शन और देरी होनी ही है. ऐसे में बच्चों के पोषण पर इसका गहरा असर पड़ेगा. झारखंड में बच्चों में व्यापक कुपोषण एवं विद्यालयों में उपस्थिति की दयनीय स्थिति के परिप्रेक्ष में अंडा की सप्लाई एक ज्वलंत मुद्दा है. ऐसे में राज्य सरकार मामले का तुरंत निराकरण करे. पत्र का समर्थन अशर्फी नन्द प्रसाद, अम्बिका यादव, अगस्तिना सोरेंग, बलराम, बिन्नी आज़ाद,जॉर्ज मोनिपल्ली, हसन अल बनना, ज्याँ द्रेज़ सहित कई अन्य ने किया है.
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