
Ranchi : भारत सरकार द्वारा अखिल भारतीय सेवाओं के संवर्ग नियमों में प्रस्तावित संशोधनों पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आपत्ति जतायी है. उन्होंने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा है कि जो मसौदा हमें मिला है वो पहली नजर में पिछले प्रस्ताव की तुलना में थोड़ा कठिन है. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार को विशेष रूप से केवल तीन श्रेणी के अधिकारियों यानी आइएएस, आइपीएस और आइएफएस की सेवाएं मिलती हैं. जबकि भारत सरकार को हर साल 30 से अधिक अधिकारियों का एक बड़ा पूल मिलता है. अधिकारियों के इस पूल से भारत सरकार के मंत्रालयों में कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है. पर, झारखंड जैसे छोटे संवर्गों में अधिकारियों की भारी कमी है.
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आज की स्थिति में राज्य में केवल 140 IAS अधिकारी (65%) कार्यरत हैं, जबकि 149 की स्वीकृत संख्या के विरुद्ध झारखंड में भारतीय वन सेवा संवर्ग की स्थिति बेहतर नहीं है.

उन्होंने कहा है कि केंद्र अपने लिए ऐसे अधिकारियों का एक स्थायी कोर कैडर बनाने पर विचार करे. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से प्रस्तावित संशोधनों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है ताकि मौजूदा ढांचे में परामर्श और सहयोग के लिए जगह तैयार की जा सके.


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अधिकारियों की कमी की ओर किया इशारा
अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि कई अधिकारी एक से अधिक प्रभार संभाल रहे हैं और अधिकारियों की इस भारी कमी के कारण प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहा है. इसके अलावा पूल से अधिकारियों को जबरन हटाने से राज्य सरकार के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना बेहद मुश्किल हो जायेगा. यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि केंद्र सरकार की अधिकांश योजनाएं और परियोजनाएं राज्य सरकारों के माध्यम से ही कार्यान्वित की जाती हैं.
अधिकारियों की बढ़ती कमी राज्य सरकार और केंद्र सरकार की परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करेगी.
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संवर्ग से बाहर प्रतिनियुक्ति अधिकारी व उसके परिवार के लिए अशांति का कारण बनेगा
किसी अधिकारी की उसके संवर्ग के बाहर अचानक प्रतिनियुक्ति निश्चित रूप से अधिकारी और उसके परिवार के लिए भारी अशांति का कारण बनेगी. यह उनके बच्चों की शिक्षा में बाधा भी डालेगा. यह निश्चित रूप से अधिकारी को डिमोटिवेट करेगा. उसका मनोबल कम करेगा.
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