
Ranchi: सूचना भवन में चलनेवाले जनसंवाद केंद्र को अब दायित्वमुक्त करने की तैयारी है. निजी एजेंसी माइका कंप्यूटर को इस कार्य से हटाने का राज्य सरकार मन बना चुकी है. प्रतिमाह करोड़ों रुपये के खर्च पर चलाये जा रहे इस केंद्र का अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के कारण यह विचार लिया गया है.
माइका द्वारा दिसंबर 2019 तक का बिल जमा किया जा चुका है. नये वित्तीय वर्ष 2020-21 में उसके लिए राह बंद की जा रही है. हालांकि अब भी इसके द्वारा शिकायतें ली जा रही हैं. पिछले चार दिनों में लगभग 20 शिकायतें यहां रजिस्टर पर दर्ज की गयी हैं.
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रघुवर सरकार में शुरू किया गया था जनसंवाद केंद्र




मई, 2015 से जनसंवाद केंद्र की सेवा तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय में आरम्भ की गयी थी. स्वयं रघुवर दास ने 181 पर फ़ोन कर इसका औपचारिक उद्घाटन किया था. राज्यभर से कोई भी इस नंबर पर फ़ोन करके अपनी शिकायत दर्ज कराता था. महीने में एक बार सीएम स्वयं समीक्षा कर आवश्यक कार्रवाई का निर्देश देते थे. केंद्र में लोग इसकी वेबसाइट के जरिये या सूचना भवन केंद्र आकर शिकायत दर्ज कराते थे. यहां प्राप्त शिकायतों के आधार पर उसे संबंधित विभाग के पास भेजा जाता था. अक्सर मामलों में दर्ज शिकायतों पर जांच और निदान के नाम पर लोगों को आस में रहना पड़ता था.
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प्रतिमाह 1 करोड़ का होता था भुगतान
मिली जानकारी के अनुसार माइका द्वारा जनसंवाद केंद्र में 150 स्टाफ रखे गये हैं. हालांकि पिछले 2 महीने से तक़रीबन 20 स्टाफ ही नियमित तौर पर आते दिखते हैं. जनसंवाद केंद्र के संचालन के लिए माइका को प्रतिमाह लगभग 1 करोड़ का भुगतान किया जाता था. यानी सालाना 12 करोड़ रुपये का व्यय होता था. उसके द्वारा दिये गये बिल पर 3-3 माह पर भुगतान होता था.
4 लाख से अधिक केस हुए दर्ज, 3 लाख के निदान का दावा
जनसंवाद केंद्र चलनेवाली एजेंसी माइका के अनुसार उसके पास अब तक 4,70,822 से भी अधिक केस दर्ज हुए. इनमें से 3,29,086 केस का निष्पादन कर लिए जाने का दावा उसके तरफ से किया जाता है. 63358 केस अब भी लंबित पड़े हैं जिन पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है. हालांकि महज तीन सालों का ही आंकड़ा उसके द्वारा वेबसाइट (https://cmjansamvad.jharkhand.gov.in/Grievance_Summary_sheet.aspx) पर डाला गया है. अब चिंता यह हो गयी है कि जिन लोगों ने जनसंवाद केंद्र में शिकायत डाली है और जिनके मामले लंबित पड़े हैं, उनका क्या होगा.
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