
Dhanbad: राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत के खुले अधिवेशन में कुर्सियां खाली रह गयीं. गैलरी खाली रह गयी. जबकि, कार्यक्रम तो सबके लिए था. खुला था. ऐसे में शहर की सड़कों में, हर मोड़, हर टोला और हर चौराहे में बड़े-बड़े होर्डिंग लगानेवाले नेताओं ने संघ प्रमुख का संबोधन सुनने के लिए लोगों को क्यों नहीं बुलाया? शायद इसलिए कि नेता गुटबाजी में उलझे हैं.
भागवत ने स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की कहानी सुनायी
संघ प्रमुख ने देवताओं और दैत्य के बीच स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की प्रतियोगिता की कहानी क्रीड़ा भारती के खुले अधिवेशन में सुनायी. दैत्यों ने सीढ़ी बनाने के लिए सब कुछ उखाड़ दिया. शक्तिशाली दैत्य नीचे भारी वजन संभाल रहा था तो उनको नारदजी ने समझाया. सबसे सबल तुम हो और स्वर्ग का राजा कोई दूसरा बनेगा, तुम क्यों नहीं? इस बात ने शक्तिशाली दैत्य के मन में खलबली मचा दी. उसने स्वर्ग का राजा बनने के लिए वजन छोड़ दिया. नतीजा, सीढ़ी भरभराकर गिर गयी? भागवत की कही गयी इस कथा के तरह-तरह के मायने निकाले जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने भी अधिवेशन को संबोधित किया


कार्यक्रम को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी संबोधित किया. इस कार्यक्रम में कम उपस्थिति पर विरोधियों ने कटाक्ष किया है. उधर, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संत जेवियर स्कूल में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों से बातचीत की. इसके बाद भागवत और द्रौपदी मुर्मू के बीच एकांत में बातचीत हुई. बताते हैं कि झारखंड की राजनीति पर केंद्रीत यह बातचीत थी.
संघ प्रमुख खास लोगों से ही मिले
एकल संगम के दौरान बेहद सक्रिय लोगों से उनका दूर रहना भी चर्चा का विषय है. आपणो घर और कोयला चोरी में शामिल आरोपियों से उनकी दूरी रही. वहीं, भागवत ने संघ के प्रांत से लेकर स्थानीय पदधारी के साथ प्रदीप संथालिया के चनचनी कालोनी स्थित आवास में भाग लिया. संघ प्रमुख ने सबका हालचाल पूछा. नेताओं से उन्होंने दूरी बनाये रखी.
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