
Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन के नाम पर कालाबाजारी को वैधानिक रुप देने में लगी है.
मंगलवार को ऑनलाइन प्रेस क़ॉन्फ्रेंस में पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले साल मार्च से ही हम सब कोरोना संकट से गुजर रहे. देश में डिजास्टर मैनेजमेंट, पैन्डेमिक एक्ट लागू है.
इसके तहत केंद्र सरकार के हाथों में असीम शक्तियां रहती हैं. इसी आधार पर वह सभी राज्यों के साथ संतुलन बनाकर चलती है. पर अभी देश में मेडिकल इमर्जेंसी होने के बावजूद वैक्सीनेशन मसले पर वह गैर जवाबदेह तरीके से राज्यों के साथ व्यवहार कर रही.


खुद 150 रुपये में वैक्सीन की खरीद करती है पर राज्यों को 400-600 रुपये तक में इसे खरीदना पड़ रहा. यह बताता है कि वैक्सीन पर कालाबाजारी हो रही.




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2000 करोड़ का भार सहने की स्थिति में नहीं है झारखंड
सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक कोरोना काल से गुजरते झारखंड के सामने अभी संसाधनों की कमी है. इसे देखते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम को पत्र लिखा. कहा कि 18 प्लस वालों के वैक्सीनेशन पर 1100 करोड़ का अधिभार आ रहा है.
इसके अलावे आगे तीसरी लहर को देखते बच्चों के लिये वैक्सीनेशन पर 1000 करोड़ का खर्च बैठेगा. यानि 2100 करोड़ रुपये का अधिभार पड़ेगा जो गहरी चिंता की बात है. जीएसटी का बकाया पैसा डेढ़ साल से झारखंड को नहीं मिल रहा. ऐसे में राज्य को मदद की जाये.
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राज्यों को छोड़ दिया गया है अकेला
अभी जो स्थिति है, उसमें अगर दुश्मन देश हमला कर दे तो राज्य को खुद के सीमा की रक्षा करने, टैंक, विमान का इंतजाम करने को कहा जायेगा. जब वैक्सीनेशन के लिये 35 हजार का बजटीय प्रावधान किया गया तो इसके लिये राज्यों को भी अलग से खरीद करने का दबाव क्यों दिया गया है.
अगर इस पैसे का उपयोग होता तो देश के 16 करोड़ लोगों को मुफ्त में वैक्सीन मिलती. युवाओं के मामले में केंद्र सरकार की उदासीनता चिंता की बात है. सरकार 18 प्लस वालों का वैक्सीन करने में गंभीरता ना दिखाकर उन्हें मारने पर लगी है.
युवाओं को वैक्सीन नहीं मिलने, रोजगार छीने जाने से अराजक स्थिति पैदा होगा. ठीकरा राज्यों के ऊपर छोड़ दिया है. यह संघीय ढांचे पर हमला है. वैक्सीन प्रोग्राम में राज्यों से कोई मंत्रणा नहीं हो रही.
नेशनल मेडिकल इमर्जेंसी में भी राज्यों को अकेला छोड़ दिया गया है. प्रति व्यक्ति आय 9500 रुपया कम हो गयी है. स्थायी नौकरी से जुड़े 35 प्रतिशत लोगों की नौकरी चली गयी है.
वैक्सीनेशन के 35 हजार करोड़ की तरह 20 लाख करोड़ का पैकेज भी गायब है. पीएम केयर फंड का ऑडिट नहीं होता. इस फंड से भेजे गये 75 फीसदी वेंटिलेटर खराब हैं.
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