
Divy Khare
Bokaro: झारखंड स्थित स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की इकाई बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के आसपास के इलाके में स्थित (लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम) एमएसएमई उद्योगों के लिए अच्छी खबर है. भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय ने इनको मदद करने की योजना बनायी है. इसके लिए कंपनी कम ब्याज पर लोन के साथ-साथ राॅ मटेरियल जैसी सुविधाएं तक उपलब्ध करायेगी.
योजना का मकसद स्थानीय उद्योगों की सहायता और विकास के जरिये आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना, रोजगार पैदा करने के तौर पर काम करना है. इस योजना से बोकारो इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया अथॉरिटी (बियाडा) के बालीडीह क्षेत्र में स्थित कई ऐसे उद्योग जो बंद पड़े हुए हैं या फिर जो बंद होने के कगार पर हैं उनको मदद मिलेगी.


बोकारो चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अनुसार, बियाडा में 70 प्रतिशत एमएसएमई बंद है जबकि शेष 25 प्रतिशत बीएसएएल के उदासीन रवैये के कारण बंद होने के कगार पर हैं. बियाडा में लगभग 490 उद्योग पंजीकृत हैं.


इसे भी पढ़ें- रामेश्वर उरांव के सांसद रहते शुरू हुआ अस्पताल का निर्माण अब भी अधूरा, सीएम ने दिये जांच के निर्देश
इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कर चुके हैं बोकारो की समीक्षा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोदय मिशन शुरू कर पूर्वी भारत के त्वरित विकास की परिकल्पना की है. इसे धरातल पर उतारने के लिए एकीकृत इस्पात केंद्र बनाना प्रस्तावित किया गया है. जिसके लिए भारत के ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, प. बंगाल और उत्तरी आंध्र प्रदेश के राज्य शामिल किये गये हैं.
इस्पात मंत्रालय ने झारखंड के बोकारो जिले में इस योजना को उतारने के लिए चुना है. इस बाबत 2019 में इस्पात मंत्रालय के टीम ने और खुद इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बोकारो आकर यहां के उद्योगों की स्थिति की समीक्षा की थी. यहां के उद्यमियों से मुलाकात कर और बीएसएल प्लांट का भ्रमण कर हर चीजों को बारीकी से जाना और परखा था.
एमएसएमई उद्योगों की वास्तविक स्थितियों का अध्ययन करने के बाद इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 11 जनवरी को कोलकाता में इस योजना को लाॅन्च किया था. बोकारो के अलावा सेल की दूसरी इकाइयों वाले शहर जैसे छत्तीसगढ़ का भिलाई, बंगाल में दुर्गापुर, उड़ीसा में राउरकेला आदि शहर भी इस योजना में शामिल किये गये हैं.
बीएसएल के संचार विभाग के प्रमुख मणिकांत धान ने कहा कि बोकारो में संचालित एमएसएमई के बारे में सेल के सेंट्रल मार्किंग ऑर्गनाइजेशन 11 फरवरी को एक सम्मेलन आयोजित कर रहा है, जिसमे एमएसएमई के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा रहा है और उन्हें प्रोत्साहन के लिए सेल की योजनाओं के बारे में और जानकारी दी जाएगी. स्थानीय उद्योग के विवरण पर सीएमओ द्वारा काम किया जा रहा है.
सेल ने योजना के जरिये समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास हासिल करने के लिए पूर्वोदय में भागीदारी की शुरुआत की है. इसके साथ ही यहां के स्थानीय उद्योगों की सहायता और विकास के जरिये आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और रोजगार पैदा करने के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करना है. इन पहलों के साथ भारतीय स्टील क्षेत्र को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में भूमिका निभाने को तैयार है.
इसे भी पढ़ें- मुकेश जालान हत्याकांड: घटना के तीसरे दिन भी पुलिस के हाथ खाली, SIT टीम गठित
MSME के लिए 700-800 रुपये प्रति टन स्टील की राहत देने की उम्मीद
पूर्वोदय योजना सेल के भिलाई, राउरकेला, बोकारो, दुर्गापुर और बर्नपुर इस्पात संयंत्र के क्षेत्रों में स्थित स्थानीय एमएसएमई के उन क्षेत्रों के लिए है, जहां विशेष मूल्य निर्धारण, विशेष वाणिज्यिक शर्तों, इनपुट की उपलब्धता, आसान वित्त पोषण सहायता और स्थानीय एमएसएमई को तकनीकी जानकारी प्रदान करके उन्हें यहां आने के लिए प्रोत्साहित करना है. सेल उन एमएसएमई के लिए इन्वेंट्री की व्यवस्था करेगा, जो स्कीम के तहत अपने मासिक उपभोग के आधार पर पंजीकृत हैं ताकि उन पर इन्वेंट्री रखने और बड़ी कार्यशील पूंजी की आवश्यकता का बोझ कम हो.
सस्ता फंड उपलब्ध कराने के लिए, सेल कंपनी वित्त पोषण योजनाओं के लिए सुविधा प्रदान करेगा, जिसमें पात्र उपभोक्ताओं को अपेक्षाकृत कम ब्याज दर पर लोन प्राप्त हो सकता है. इन गैर-मूल्य आधारित प्रोत्साहनों में लगभग 200-400 रुपये प्रति टन की सीमा में लाभ के अवसर हैं. इन लाभों के अलावा, स्थानीय इस्पात संयंत्र कौशल विकास, ज्ञान वृद्धि, स्थानीय प्रचार और अन्य परामर्श आदि में मदद करेंगे. नए उद्योगों के लिए जो इन संयंत्र आधारित जिलों में आने जा रहे हैं, के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन योजना द्वारा बढ़ाया जायेगा.
इसके अलावा, गोदाम से डिलीवर किये जा रहे माल के लिए उसकी कीमत पर विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जायेगा. इन प्रोत्साहनों के अलावा, एमएसएमई को उसी ब्रांच के बड़े ग्राहकों की ही तरह प्रोत्साहन दिया जायेगा. इस योजना के तहत एमएसएमई के लिए 700-800 रुपए प्रति टन स्टील की राहत देने की उम्मीद है. इन मूल्य आधारित प्रोत्साहनों के अलावा, सेल मात्रा आधारित टर्नओवर छूट, ब्याज मुक्त ऋण, नकद छूट और स्थिरता लाभ के साथ एक लचीली वार्षिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहा है.
संजय बैद, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष ने कहा कि यह स्वागत पूर्ण कदम है. यहां के उद्यमियों ने पहले भी कई बार इस्पात मंत्रालय को एमएसएमई के प्रति बीएसएल द्वारा बरते जा रहे उदासीन रवैया के बारे में बताते हुए मदद की गुहार लगायी थी.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में बीएसएल निर्मित स्टील को झारखंड के बाजार से कम दर में बेचा जाता है. इस तरह के भेदभाव ने झारखंड में स्टील आधारित उद्योग को बढ़ने से प्रभावित किया है. उन्होंने इस्पात मंत्री से यहां औद्योगिक अनुकूल वातावरण बनाने का आग्रह किया.