
- एक अप्रैल 2015 से स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण विभाग कर रहा है योजना की मानिटरिंग
- 15 राज्यों के ही आंकड़े पोर्टल में, इनके पास 33,332,475 एक्टिव कार्ड
Ranchi : केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत, कोई नयी योजना नहीं है. तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के कार्यलाय में बीपीएल परिवारों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को बेहतर चिकित्सकीय लाभ देने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ) की शुरुआत की गयी थी. 31 मार्च 2015 तक योजना का संचालन श्रम, नियोजन मंत्रालय की तरफ से किया जाता रहा. एक अप्रैल 2015 से योजना की देखरेख का काम स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से किया जा रहा है. केंद्र सरकार के पोर्टल में सिर्फ 33,332,475 परिवारों के ही निबंधित होने की बातें कही गयी हैं, जिनके पास एक्टिव स्मार्ट कार्ड है. इन परिवारों में से 14,084,587 परिवारों मे ही अस्पतालों में अपना इलाज स्मार्ट कार्ड के जरिये कराया. झारखंड में भी इस योजना का लाभ बीपीएल परिवारों को मिल चुका है.
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आरएसबीवाई योजना में झारखंड के एक भी लाभुकों का नाम पोर्टल में नहीं


आरएसबीवाई योजना के राष्ट्रीय पोर्टल में झारखंड के एक भी लाभुकों का नाम नहीं है. हालांकि राज्य सरकार ताल ठोंक रही है कि राज्य के 57 लाख परिवारों को इसका लाभ मिलेगा. यह योजना अब आयुष्मान भारत के नाम से जानी जायेगी. यहां यह बताते चलें कि पोर्टल में झारखंड राज्य आरोग्य योजना के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी आइएएस दिव्यांशू झा को बनाये जाने का जिक्र है. झारखंड ही नहीं 19 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े भी शून्य हैं. सिर्फ 15 राज्यों के 59,11,75,897 बीपीएल परिवारों के आंकड़े पोर्टल में हैं. इनमें से योजना के तहत 33,332,475 परिवार बीमा के लिए निबंधित हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से 15 राज्यों के 4924 निजी और सरकारी अस्पतालों को जोड़ा गया है.
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30 हजार रुपये का चिकित्सकीय खर्च लाभुकों को बीमा कंपनियां देती थीं
आरएसबीवाइ योजना के तहत निबंधित परिवारों को चिकित्सकीय खर्च के लिए 30 हजार रुपये तक उपलब्ध कराया जाता था. इसके लिए सभी राज्यों द्वारा बीमा कंपनियों से लाभुकों का निबंधन भी कराया गया था. लाभुकों के खर्च के दावे का भुगतान कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये गये कागजातों के आधार पर किया जाता था. इसके आंकड़े भी सभी राज्यों को रखना अनिवार्य किया गया था. योजना में बीपीएल परिवारों के अलावा रेलवे के लाइसेंसी पोर्टर, स्ट्रीट वेंडर, बीड़ी मजदूर, घरेलू मजदूर, साफ-सफाई से जुड़े कर्मी, रिक्शा चालक, कूड़ा-कचरा चूनने वाले, आटो रिक्शा चालक, मनरेगा मजदूरों को जोड़ा गया था.