
New Delhi: भारतीय रेलवे के सामने नकदी संकट गहराता जा रहा है. आमदमी में कमी और बढ़ते खर्च के कारण इंडियन रेलवे को साल के आखिर तक करीब तीस हजार करोड़ रुपए की नकदी की कमी का सामना करना पड़ा रहा है.
इस संकट से उबरने के लिए रेलवे बोर्ड के सदस्यों ने कुछ ट्रेनों के संचालन में कमी करने का सुझाव दिया है. साथ ही ट्रेनों और स्टेशनों को साफ करने के लिए स्पॉन्सर से लेकर कई उपाय सुझाये हैं.
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कमाई 3.4 फीसदी, खर्च 9 % बढ़ा
6 सितंबर को रेलवे बोर्ड द्वारा 17 जोनल यूनिट्स को भेजे गये एक लेटर में, ‘खर्च को कम करने और आमदनी बढ़ाने के नजरिए से कई तात्कालिक और अल्पकालिक उपायों पर विचार किया है, जिनपर कार्य करने की जरुरत पर बल दिया गया है.’
अगस्त के आकड़ों के अनुसार रेलवे की करीब 3.4 फीसदी कमाई बढ़ी है, लेकिन खर्च में दोगुना से ज्यादा यानी करीब 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जुलाई तक हमारे खर्च और कमाई के आकंड़े ठीक थे. मगर अगस्त में हमारी कमाई में कमी आई क्योंकि अभूतपूर्व बाढ़ से कोयला लोडिंग पर फर्क पड़ा. हालांकि हम हालात से निपटने में सक्षम है और स्थिति को नियंत्रण में बनाए रखने के लिए तात्कालिक उपाय लागू कर रहे हैं.’
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ट्रेनों, स्टेशनों में सफाई के लिए स्पॉन्सरशिप की बात
कैश की कमी से जूझ रहे रेलवे को उबारने के लिए बोर्ड ने जो प्रस्तावित उपाय बताये हैं, उनमें स्पॉन्सरशिप और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के जरिए ट्रेनों और स्टेशनों की सफाई करवाना, पचास फीसदी से कम भीड़ वाली गाड़ियों की समीक्षा करना और उनका संचालन कम करना या दूसरी ट्रेनों से मर्ज करेना जैसे उपाय पर विचार करने को कहा गया है.
साथ ही डीजल बचाने के लिए 30 साल से पुराने डीजल इंजनों को रिटायर्ड करने, बेहतर कमाई के लिए रखरखाव और संचालन कार्यों को बेहतर करना जैसी बातें शामिल है.
वीके यादव ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि साल के आखिर तक अपने बजट टारगेट का मिलान करने में सक्षम होंगे. हालांकि फिलहाल हमारा पूरा ध्यान पांच हजार करोड़ रुपए की बचत करना है.’
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