
Nikhil Kumar

Ranchi : राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने रांची की मेयर आशा लकड़ा की ओर से तत्कालीन नगर आयुक्त और नगर विकास सचिव के खिलाफ की गई शिकायत को गंभीरता से लिया है. आयोग ने नगर विकास विभाग झारखंड के सचिव विनय कुमार चौबे को पत्र लिखकर इस मामले 15 दिनों में एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि अगर निर्धारित अवधि के अंदर एटीआर नहीं दिया गया तो आयोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए सिविल कोर्ट के क्लाउज आठ के धारा 338 ए के तहत कार्रवाई करेगा.
मेयर का आरोप है कि रांची नगर निगम में कोविड काल के दौरान अफसरों ने नियम-कानून को ताक पर रखकर 298 योजनाओं को आनन-फानन में न सिर्फ स्वीकृति दे दी, बल्कि इन्हें निष्पादित भी कर दिया. ये योजनाएं कुल 5,77,64,12,145 करोड़ रुपए की थीं. इन योजनाओं के लिए नगर निगम बोर्ड और उनकी स्वीकृति भी नहीं ली गई. मेयर आशा लकड़ा का आरोप है कि अब संबंधित अधिकारी उनपर इन योजनाओं को घटनोत्तर स्वीकृति देने के लिए दबाव बना रहे हैं. लकड़ा का कहना है कि चूंकि वह अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली महिला हैं. इसलिए उनपर इस तरह का अनुचित दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने इसे लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई.
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मेयर आशा लकड़ा का यह भी कहना है कि आखिर वह उन योजनाओं को कैसे अपनी स्वीकृति दे सकती हैं, जिनके बारे में न तो पूर्व में उन्हें बताया गया और न ही उन्हें कोई जानकारी है. मेयर की शिकायतों पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने नगर विकास सचिव से पहले ही जवाब मांगा था. सचिव ने इसपर बिंदुवार जवाब दिया था. सचिव के जवाब पर मेयर ने पुनः अपना पक्ष रखा. इसके बाद अब आयोग ने इसपर राज्य सरकार से एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी है.
(अगली किस्त में पढ़िए- क्या हैं मेयर की शिकायतें, सचिव का उत्तर और मेयर का प्रतिउत्तर)