
New Delhi: भारत की आवाज स्वर कोकिला लता मंगेशकर नहीं रहीं. पिछले कुछ दिनों से लगातार बीमार चल रही लता दीदी ने मुंबई ब्रिच कैंडी अस्पताल में कुछ देर पहले अंतिम सांस ली. कोरोना से उबरने के बाद वह न्यूमोनिया से जूझ रही थी. 92 वर्षीय लता दीदी को शनिवार को वेंटिलेटर पर रखा गया था. आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने ट्विट कर यह जानकारी शेयर की है. प्रधानमंत्री मोदी ने लता दीदी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा उनसे मुझे हमेशा प्यार मिला. वह देश को विकसित व समृद्ध देखना चाहती थी. उनसे हुई बातचीत को भुलाया नही जा सकेगा. राष्ट्रपति कोविंद ने भी लता दीदी के निधन पर शोक जताया है.
Lata-ji’s demise is heart-breaking for me, as it is for millions the world over. In her vast range of songs, rendering the essence and beauty of India, generations found expression of their inner-most emotions. A Bharat Ratna, Lata-ji’s accomplishments will remain incomparable. pic.twitter.com/rUNQq1RnAp
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 6, 2022
इधर उनके निधन पर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा. डॉक्टरों का कहना है कि लता दीदी के अंगो में काम करना बंद कर दिया था जिसके कारण निधन हुआ. 12.30 बजे उनका पर्थिव शरीर घर लाया जाएगा. शाम साढ़े छह बजे मुंबई स्थित शिवाजी पार्क में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
I am anguished beyond words. The kind and caring Lata Didi has left us. She leaves a void in our nation that cannot be filled. The coming generations will remember her as a stalwart of Indian culture, whose melodious voice had an unparalleled ability to mesmerise people. pic.twitter.com/MTQ6TK1mSO
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
लता मंगेशकर 8 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थीं. देश भर में उनके लिए दुआ मांगी जा रही थी. करीब छह दशक तक अपनी आवाज से संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज किया. उन्होंने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये हैं. उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला.

पारिवारिक पृष्ठभूमि
लता दीनानाथ मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर, 1929 इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे. करीब पांच वर्ष की आयु से इन्होंने संगीत सीखना शुरू किया. उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं. लता ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत ख़ान’ के साथ भी पढ़ीं. लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं. इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी. लेकिन पांच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला. शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी.
वर्ष 1942 में इनके पिता की मौत हो गई. इस दौरान ये केवल 13 वर्ष की थीं. नवयुग चित्रपट फिल्म व कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्त मास्टुर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की.

संघर्ष
जिस तरह शुरुआती दिनों में आम कलाकार को संर्घष से गुजरना पड़ता है उसी तरह के संघर्ष से दो-चार होना पड़ा था. लता जी को भी अपना स्थान बनाने में कई कठिनाइयों का सामना करना पडा़ था. कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ़ मना कर दिया था. उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहां के साथ लता जी की तुलना की जाती थी. लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा. लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था.
लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला. इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला. इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहां अप्रासंगिक न होगा. जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी. इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया. अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना. लता जी ने दो आँखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है. आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए. इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि.