
Giridih : गिरिडीह कॉलेज में पुस्तक खरीद में भारी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. इसमें कॉलेज पुस्तकालय के लिए विषयवार किताबों की खरीद में न सिर्फ वित्तीय अनियमितताएं बरती गईं, बल्कि टेंडर प्रकाशन से लेकर पुस्तक सप्लाई तक की पूरी प्रक्रिया में नियमों की घोर अवहेलना की गई है. इसके कारण कॉलेज प्रबंधन के साथ साथ पुस्तक सप्लाई एजेंसी भी सवालों के घेरे में आ गए हैं.
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क्या है पूरा मामला
यह मामला 2017 से शुरू होता है जब गिरिडीह कॉलेज ने अपनी वेबसाइट में दिनांक 13 मार्च 2017 को पुस्तक खरीद के लिए एक टेंडर (पत्रांक G/176/17) का प्रकाशन किया. इसमें कुल 16 विषयों की किताबों के लिए 12,50,000 रुपये की पुस्तक खरीद के लिए प्रतिष्ठित बुक सप्लाई एजेंसियों से निविदा आमंत्रित की गई. इसमें नई दिल्ली की एजेंसी आयुष्मान पब्लिकेशन का चयन किया गया. सारी प्रक्रिया तत्कालीन प्राचार्य डॉ अशोक कुमार के समक्ष हुई. इसके बाद एजेंसी ने पुस्तकें सप्लाई तो की, लेकिन आधी अधूरी और नियमों के विपरित. एजेंसी ने 7,50,000 रुपये की लागत की ही किताबें सप्लाई की और बिल थमाया 12,50,000 रुपये का.
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बांग्ला और उर्दू की एक भी किताब नहीं दी गई
एजेंसी आयुष्मान पब्लिकेशन ने बांग्ला और उर्दू भाषा की एक भी किताब सप्लाई नहीं की, जबकि टेंडर के मुताबिक दोनों विषयों की 50-50 हजार रुपये की किताबें सप्लाई करनी थीं.
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ऑर्डर नहीं होने पर भी अंग्रेजी और मनोविज्ञान की किताबें कर दी सप्लाई
टेंडर ऑर्डर सूची में अंग्रेजी और मनोविज्ञान की किताबों की खरीद का ऑर्डर नहीं रहने के बावजूद एजेंसी ने नियम के विरूद्ध इन विषयों की लाखों रुपये की किताबें कॉलेज को थमा दी है.
इस पूरे मामले पर गिरिडीह कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य डॉ अजय मुरारी ने कहा कि यह उनके कार्यकाल से पहले का मामला है. उन्होंने कहा कि ऑर्डर के विपरीत पुस्तकों का सप्लाई नियमों के खिलाफ है और इसकी जांच होगी।
पुस्तक खरीद मामले की जांच होगी : प्राचार्य
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बुक सप्लायर्स का पक्ष
किताबों की सप्लाई करने वाली एजेंसी आयुष्मान पब्लिकेशन के आशीष सिंह ने कहा कि कॉलेज के अंग्रेजी और मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसरों के कहने पर ही उन्होंने उक्त विषयों की किताबें सप्लाई की थीं. इसमें तत्कालिन प्राचार्य डॉ अशोक कुमार की भी सहमति थी.
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