
Prakash Mishra
Bokaro: बोकारो जिले के पेटरवार में मध्यम सिंचाई योजना पिछले एक साल से अधर में लटकी हुई है. तकरीबन एक साल पहले इलाके में जल संसाधन विभाग की ओर से मध्यम सिंचाई योजना की नींव रखी गयी. लेकिन ये योजना एक साल बाद भी शुरू नहीं हो पायी है.
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21 अप्रैल 2018 को हुआ शिलान्यास
करीब एक वर्ष पूर्व 21 अप्रैल 2018 को पेटरवार प्रखंड के सुदूर आदिवासी बाहुल्य इलाके के कोह पंचायत स्थित गुंदलीगढ्हा टोले के अंबागढा जोरिया पर मध्यम सिंचाई योजना की आधारशिला रखी गयी थी.

स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि वर्षो पुरानी इस सिंचाई योजना का लाभ इस इलाके के ग्रामीणों को मिलेगा, जिससे उनकी खेतों में अनाज सहित फसलों की पैदावार बढ़ेगी.
लेकिन ऐसा नहीं हो सका. एक वर्ष में भी इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है.
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कच्चे नहर के पानी से होती है खेती
गौरतलब है कि अंबागढहा नदी पर बने डैम से निकाला गया कैनाल पूरी तरह से जर्जर और बर्बाद हो चुका है. गुंदलीगढहा से मेरुदारु गांव तक पहुंचते-पहुंचते पानी दम तोड़ देता है.

हालांकि, जो ग्रामीण थोड़े सामर्थ्यवान हैं, वह अपने मोटर या कच्ची नाली बनाकर गांव के खेतों तक पानी पहुंचाते है और खेती करते है. लेकिन गरीब किसानों के लिए ये मुमकिन नहीं.
ग्रामीण बताते हैं कि योजना के शिलान्यास वाले आस-पास के इलाकों में काफी खुशी थी.
इस कैनाल से अरजुआ पंचायत के इरगवा गांव के ग्रामीण पुराने सिंचाई नाले से पानी ले जा रहें है और खेती कर रहें है, जबकि इरगवा के ग्रामीणों का कहना है कि अगर कैनाल ठीक तरीके से बन जाये तो ग्रामीणों को खेती करने में सुविधा होगी और गांव में ही किसानों को रोजगार मिल सकेगा.
कैनाल मरम्मती से एक दर्जन गांव को मिलता लाभ
बोकारो जिले का पेटरवार कृषि बाहुल्य इलाका है. इस कैनाल के बन जाने से करीब एक दर्जन से अधिक छोटे-बड़े गांव के किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलता.
किसान संतोष हांसदा ने योजना के बारे में बताया कि करोड़ों की लगात से पूरे कैनाल में पत्थर बिछाने की बात थी, ताकि जिस स्थान से पानी का आउट लेट बनाया जायेगा, वहीं से पानी निकलेगा. अभी जर्जर हो जाने के कारण पानी सही तरीके से खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
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इस कैनाल की मरम्मत हो जाने से बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड के कोह पंचायत स्थित गुदलीगढहा, अरजुआ पंचायत के मेरुदारु, तेतरियाटांड, इरगवा, केंदुआडीह, पजरबेडा, धमना और रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के रकुआ पंचायत स्थित गंधौनी और पिपरा के सैकड़ों किसानों को लाभ मिलता और कई हेक्टेयर जमीन सिंचित होती.
मामले को लेकर लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन न तो उनका फोन ही लग सका और न ही वो कार्यालय में मिले.
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