Bokaro : बीते एक सप्ताह में गोमिया डुमरी विहार के बिरहोर डंडा में रहने वाले एक बिरहोर महिला सावित्री बिरहोरीन और एक पुरुष सावना बिरहोर की मौत हो गई. जो राज्य सरकार के लचर स्वास्थ विभाग के रवैये को दर्शता है. 6 अगस्त को सदर अस्पताल से घर पहुंचते ही सावित्री की मौत हो जाती है. वहीं 8 अगस्त को बोकारो सदर अस्पताल से रांची रिम्स में जाने के बाद 11 अगस्त को सावना बिरहोर की मौत इलाज के क्रम में हो गई. सरकार आदिम जनजाति स्वास्थ, भोजन, आवास, स्कूल को लेकर बड़े दावे करती रही है, लेकिन जमीनी हकीकत उससे काफी अलग है. डुमरी विहार बिरहोर डंडा में डायरिया फैंलने के बाद गोमिया बीडीओ के ओर से मेडिकल कैंप लगाया गया, लेकिन इससे पहले वहां रहने वालों को मूलभूत सुविधा मिलती है या नहीं इसे देखने भी अधिकारी नहीं पहुंचते हैं. फिलहाल दो लोगों की मौत से बिरहोर परिवार काफी सदमे में है.
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गंदे कुएं का पानी पीने को विवश है बिरहोर परिवार
डुमरी विहार के बिरहोर डंडा में बिरहोरों के 27 परिवार रहते है, हाल में इनके टूटे घरों के जगह नए घर बनने लगे है, लेकिन जिस टूटे और गंदे कुएं का पानी उपयोग कर लोग डायरिया का शिकार हो गए. उसे साफ या बनाने को लेकर कोई प्रयास नहीं किया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता गुलाब चंद्र बताते हैं कि टूटे कुएं में मोटर लगाकर टंकी में पानी भर दिया जाता है, जिसका उपयोग सभी करते है, जबकि उस कुएं को बनाने और सफाई के बाद ही पानी उपयोग में लाया जा सकता है. अभी भी तीन लोग डायरिया से प्रभावित है, जिनका इलाज गोमिया अस्पताल में चल रहा है.
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