
Pradeep Yadav
जिस वक्त पूरे देश में कोरोना के कुछ ही मामले सामने आए थे उस वक्त गुजरात में करोड़ों रुपये खर्च कर #नमस्ते_ट्रंप जैसा कार्यक्रम का आयोजन हो रहा था. लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठी करके स्टेडियम में आडंबर की नुमाईश की जा रही थी और गरीबों को दीवारों में चुनवाया जा रहा था.
जिस वक्त कोरोना भारत में पैर पसारने की शुरुआत में था उस वक्त मध्यप्रदेश की एक चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए विधायकों को लग्ज़री बसों में बैठा कर एक होटल से दूसरे होटल भेजने का खेल चल रहा था. और जब इस खेल में कामयाबी मिल गई उसके बाद सरकार को अचानक से कोरोना की याद आई और पूरे देश मे लॉकडाउन घोषित कर दिया गया.


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न इसकी कोई तैयारी की गई और न ही किसी राज्य सरकार को इसकी पूर्वसूचना दी गई. लाखों प्रवासी मज़दूर, मेहनतकश, छात्र और मरीज़ बाहर फंस गए. उन सबके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई.
आज हालात जब बाद से बदतर हो चुके हैं और कोरोना पॉजिटिव की संख्या 50 हज़ार से अधिक हो गई है तब आवागमन की छूट दी गई. सवाल बस इतना है कि जिस वक्त #नमस्ते_ट्रंप जैसा भव्य आडम्बर और मध्यप्रदेश में सत्ता हथियाने के नाम पर जो खेल खेला जा रहा था उस वक्त देश में कोरोना का आगमन हो चुका था क्या उसी वक्त मज़दूरों को अपने घर भेजने की व्यवस्था नहीं कर देनी चाहिए थी? जबकि उस वक्त तक विश्व के कई हिस्से में कोरोना तबाही मचा चुका था.
चीन में कोरोना से हजारों मौत हो चुकी थी उसी वक्त अगर भारत सरकार इसको गंभीरता से लेती तो आज मज़दूर पैदल ही भूखे हज़ारों किलोमीटर पैदल यात्रा कर घर लौटने को मजबूर न होते और न ही आज उनकी मौत ट्रेनों से कटकर, भूख और प्यास से तड़प कर होती.
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लेकिन गुजरात का आडम्बर और मध्यप्रदेश के सत्ता को हथियाने की लोलुपता ने आज पूरे देश को बेरोज़गारी और भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. भविष्य में इसका परिणाम और भी भयावह होने वाला है, क्राइम रेट बढ़ने वाला है.
(लेखक विधायक पोड़ैयाहाट विधानसभा, पूर्व शिक्षा मंत्री, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री झारखण्ड सरकार हैं, और ये उनके निजी विचार हैं)
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