
Saharsa. बिहार के सहरसा और सुपौल जिले के भी विभिन्न डाकघरों से डाककर्मियों के द्वारा 3 करोड़ 45 लाख रुपए की हेराफेरी का मामला सामने आया है. शुरूआती जांच में मामले की पुष्टि होने पर इस हेराफेरी को लेकर सहरसा और सुपौल के कुल 14 कर्मियों को विभाग ने निलंबित कर दिया है. निलंबित कर्मियों में प्रधान डाकघर सहरसा के डाकपाल राजेश कुमार, मुकेश मिश्रा, वीरेंद्र साहा, मनोज हांसदा, एसबीओ सुपरवाईजर मुकेश निराला शामिल है।
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डाकघरों के मृत खाते से हुई फर्जी निकासी


बताया जा रहा है कि निलंबित कर्मियों के द्वारा मृत खाते को बिना केवाईसी लिए रिवाइज कर खाता को चालू करके करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया. इसका मास्टरमाइंड प्रधान डाकघर के तत्कालीन डाकपाल राजेश कुमार और एसबीसीओ सुपरवाइजर मुकेश कुमार निराला को बताया जा रहा है. विभागीय सूत्रों की माने तो प्रधान डाकघर के डाकपाल को अनफ्रीज करने का पावर रहता है। इस अधिकार का उनके द्वारा दुरुपयोग किया गया. वहीं एसबीसीओ सुपर वाइजर मुकेश कुमार निराला द्वारा सही तरीके से जांच नहीं की गई और न ही ग्राहक के हस्ताक्षर का मिलान किया.




आरोप है कि इन कर्मियों द्वारा नियम को ताक पर रखकर डाकपाल की मिलीभगत से लंबे समय से ट्रांजेक्शन नहीं किए गए मृत खाते को प्रधान डाकघर सहित अन्य डाकघरों में चालू कर दिया गया. जब 2016 में माइग्रेट होने पर खाते में पैसा बढ़ने लगा तो उक्त कर्मियों द्वारा पैसा निकासी की जाने लगी.जब इसकी जानकारी प्रधान डाकघर के डाकपाल राजीव रंजन को लगी तो उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों को विधिवत इसकी सूचना दी.इसके बाद इस करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. सूत्रों के हवाले के अनुसार इस हेराफेरी मामले की सीबीआई जांच के लिए भी विभाग द्वारा अनुशंसा की गई है. हालांकि प्रधान डाकघर के डाकपाल राजीव रंजन ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हमको मालूम नहीं है. हमारे वरीय अधिकारी ही बता पाएंगे.