
Ranchi : उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उमेश शर्मा के द्वारा एफआइआर को निरस्त करने से संबंधित याचिका में हाइकोर्ट ने त्रिवेद्र सिंह रावत को नोटिस जारी करते हुए उन्हें प्रतिवादी बनाया था. हाइकोर्ट ने मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस मामले में प्रतिवादी से मुक्त कर दिया. उमेश शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकार को गिराने की साजिश और ब्लैकमेल करने और धमकी देने का आरोप लगाते हुए रांची के अरगोड़ा थाना में अमृतेश सिंह चौहान की ओर से प्राथिमिकी दर्ज करायी गयी.
इस प्राथमिकी को दर्ज कराने में त्रिवेंद्र सिंह रावत की मिलीभगत है. उन्होंने प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह कोर्ट से किया था. इस पर पूर्व में कोर्ट ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को नोटिस जारी करते हुए उन्हें प्रतिवादी बनाया था.
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हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार को की. सुनवाई के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से पक्ष रखते हुए हाइकोर्ट के अधिवक्ता पांडे नीरज राय ने कोर्ट से कहा कि मामले में उन्हें प्रतिवादी बनाये जाने का कोई औचित्य नहीं है. वे न तो इस मामले में आरोपी हैं और न ही सूचक हैं. उमेश शर्मा ने कई तथ्यों को छुपाया है.


इस मामले में उनके खिलाफ वर्ष 2019 में अदालत में आरोप पत्र भी दायर किया जा चुका है, कोर्ट मामले में संज्ञान भी ले चुकी है. इसलिए उन्हें प्रतिवादी से मुक्त किया जाये. कोर्ट ने उनके इस आग्रह को स्वीकार करते हुए इस मामले में उन्हें प्रतिवादी से मुक्त कर दिया.
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क्या है मामला
उमेश शर्मा के खिलाफ रांची के अमृतेश सिंह चौहान ने नवंबर 2018 को अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें उनकी ओर से कहा गया था कि गाजियाबाद के पत्रकार उमेश शर्मा ने उनसे उत्तराखंड सरकार गिराने में मदद मांगी थी. जब उन्होंने इससे इंकार कर दिया तो उन्हें केस में फंसाने की धमकी दी गयी.
उमेश शर्मा खुद को एक न्यूज चैनल का मालिक बता कर उन्हें फोन किया था. वाट्सअप कॉल व मैसेज भेज उसने लोकतांत्रक सरकार को गिराने के लिए गुप्त जानकारी इकट्ठा करने को उनसे कहा था. उमेश ने उनसे यह भी कहा था कि ऐसा नहीं करने पर उसे ईडी के झूठे केस में फंसा देंगे.
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