
Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी व खनन पट्टा लीज मामले की झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और एस एन प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हो रही है. राज्य सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर हुई अवगत कराया. कपिल सिब्बल ने झारखंड हाईकोर्ट रुल 4A, 4B के तहत दलील देते हुए याचिका को तथ्यविहीन बताया. साफ कहा कि हाईकोर्ट रूल के हिसाब से याचिका तार्किक नहीं है. सिब्बल ने यह भी दलीली दी कि 2013 में दायर दीवान इंद्रनील सिन्हा की याचिका को कोस्ट के साथ रद्द किया गया था. इसे ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट को इस याचिकाकर्ता की क्रेडिबिलिटी को देखना चाहिए.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत से सप्लीमेंटरी पर दलील पेश करने का आग्रह किया. जिसपर कोर्ट ने कहा कि पहले मेनटेंनएबलिटी पर सुनवाई की जाएगी साथ ही खंडपीठ ने मनरेगा घोटाले से जुड़ी अरुण दुबे की याचिका को इस सुनवाई से यह कहते हुए अलग कर दिया कि मेनटेंनएबलिटी इसकी पहले से तय हो चुकी है और मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है.
अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका निरस्त करने के पक्ष में याचिका कर्ता के वकील राजीव कुमार के एक साक्षात्कार को भी प्रमुखता से उठाया. इसके साथ ही हाईकोर्ट रुल 4A, 4B और 5 के तहत याचिका को मेंनटेंनएबुल नहीं होना बताया. इसके जबाव में अदालत ने कहा कि अगर सब कुछ मीडिया और बाहर ही तय हो रहा है तो हम क्यू बैठे हैं.






सीएम हेमंत सोरेन के नाम पत्थर खदान का पट्टा एलॉट होने का मामला सामने आया था. इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. कोर्ट ने महाधिवक्ता से भी जवाब तलब करने का आदेश दिया था. झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गई थी. शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआइएल दाखिल की थी. इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्या विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन देकर खनन पट्टा हासिल किया है.
ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की गई थी. इसी मामले में हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग को भी जबाव देना है. चुनाव आयोग ने उनसे पूछा है कि आयोग क्यों न उन पर कार्रवाई करे और क्यों न सदस्यता रद्द कर दे. हेमंत की अपील पर चुनाव आयोग ने जबाव देने के लिए समय बढ़ाया है. इसी माह के पहले पखवाड़े में हेमंत को जबाव देना है.