
Ranchi: झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 वापस नहीं लिये जाने के विरोध में राज्य के व्यापारियों ने आज से दूसरे राज्य से अनाज की खरीद बंद कर दी है. व्यापारी 15 मई के पहले किये गये ऑडर्स ही लेंगे. 16 मई से खाद्यान्न ऑर्डर करना भी बंद कर दिया गया है. पंडरा बाजार समिति की मानें तो राज्य में चावल 25 फीसदी बाहर से मंगायी जाती है. इसके साथ ही गेंहू, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज सभी बाहर से मंगाये जा रहे हैं. एक आंकलन के मुताबिक राज्य के व्यापारियों के पास सप्ताह भर के ही खाद्यान्न के स्टॉक हैं. ऐसे में यदि समय पर समस्या का समाधान नहीं हुआ खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है. राज्य में हरियाणा, पंजाब, एमपी, यूपी, पश्चिम बंगाल से खाद्यान्न मंगाये जाते हैं.
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कितना है उपभोग: व्यापारियों की मानें तो राज्य में खाद्यान्न आवक यहां के उपभोग पर निर्भर है. जितना उपभोग है उतना ही आवक भी है. बताया जा रहा है चावल की प्रतिदिन 3500 टन खपत है. इसी तरह गेंहू 2500 टन, खाद्य तेल 800 से एक हजार टन तक, दालें 700 से 800 टन, प्याज 800 से 1000 टन तक, आलू की खपत प्रति दिन 1500 टन तक है. इसी अनुपात में प्रतिदिन खाद्यान्न मंगाए जाते हैं. चैंबर के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने बताया कि व्यापारियों ने इसका आंकलन किया है. चावल 75 फीसदी तक राज्य में उपजती है. 25 फीसदी बाहर से मंगाये जाते हैं.


मार्च से दी जा रही चेतावनी: झारखंड चैंबर की ओर से मार्च से आवक बंद करने की चेतावनी सरकार को दी जा रही है. विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने विधेयक पारित किया. जिसके साथ ही विरोध शुरू हो गया. व्यापारियों की मांग है कि सरकार इस कानून का वापस ले. प्रवीण जैन छाबड़ा ने बताया कि अब तक सरकार की ओर से इस पर कोई पहल नहीं की गयी है. न ही सरकार की आरे से चैंबर को पत्राचार कर वार्ता के लिये बुलाया गया. जबकि चैंबर प्रतिनिधियों ने इस कानून को वापस लेने के लिये कई स्तरों पर वार्ता की.


विरोध क्यों: विधेयक पर राज्यपाल की सहमति मिलते कानून लागू किया जायेगा. फिलहाल विधेयक राजभवन में है. व्यापारियों की मानें तो विधेयक के जरिये सरकार जो भी कृषि उपज बाजार में बेचा जायेगा, फिर चाहे वो दूसरे राज्यों से लिया उस पर ये शुल्क लगाया जायेगा. कृषि उपज पर 2 प्रतिशत बाजार शुल्क लगाया जायेगा. इसके पहले राज्य में ये कानून खत्म कर दिया गया था. वर्तमान में सरकार फिर से इस कानून को ला रही है. वहीं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी इस कानून को समाप्त कर दिया गया है.