
- बप्पी लाहिरी जन्मदिन पर विशेष
Naveen Sharma
80 का दशक वो दौर था जब झारखंड अविभाजित बिहार का हिस्सा था. यह इलाका दक्षिण बिहार कहलाता था. बॉलीवुड में उन दिनों अमिताभ बच्चन ही नंबर वन हीरो थे लेकिन दूसरी तरफ मिथुन चक्रवर्ती इस इलाके में काफी लोकप्रिय थे. इसकी वजह यह थी कि यहां के लोग नृत्य और संगीत के काफी शौकीन हैं इसलिए उन्हें मिथुन की फिल्मों के धूम धड़ाके वाले गाने खूब पसंद आते थे. यह डिस्को डांस का जमाना था. मिथुन की डिस्को डांसर नाम की फिल्म सुपर हिट हुई थी. इसके गाने टाइटल सांग आई एम ए डिस्को डांसर, जिम्मी जिम्मी आजा, गोरों की ना कालों की काफी लोकप्रिय हुए थे. बप्पी लहरी के गाये हुए गानों याद आ रहा है तेरा प्यार और कोई यहां आहा नाचे नाचे को भी लोगों ने पसंद किया था.
तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिये
वैसे तो बॉलीवुड में बप्पी लहरी म्यूजिक डायरेक्टर में ज्यादा मशहूर हैं लेकिन मुझे वो उनके गाये हुए गीत तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिये के विशेष रूप से पसंद हैं. यह गीत कमाल का है. 1980 में रीलीज हुई मनोकामना फिल्म का ये गीत सबसे खूबसूरत प्रेमगीतों में शुमार है
प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए
तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए
मुझको हर घड़ी दीदार चाहिए
तुम्हारा प्यार चाहिए…
रूप रंग पर मरता आया, सदियों से ये ज़माना
मैं मन की सुंदरता देखूँ, प्यार का मैं दीवाना
तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए
तूफ़ाँ मे बाहों की पतवार चाहिए
तुम्हारा प्यार चाहिए…
मेरे सिवा तुम और किसी को दिल में न आने दोगी
फूलों की तो बात ही क्या है, काँटों पे साथ चलोगी
तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए
दिन रात वफ़ा का इकरार चाहिए
तुम्हारा प्यार चाहिए…
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हिंदी गीतों में वेस्टर्न म्यूजिक की बहार
हिंदी फिल्मों के गीतों में वेस्टर्न म्यूजिक का प्रभाव आरडी बर्मन के समय से ही दिखने लगा था. कल्याण जी आनंद जी और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने भी यह दखल बढ़ाया था. वहीं बप्पी लाहिरी तो पूरी तरह से उसी रंग में रंगे थे.
पॉप स्टार की तरह ही गेटअप रखने वाले बप्पी दा ने बॉलीवुड में गीतों को वेस्टर्न पॉप म्यूजिक का ऐसा तड़का लगाया की 80 के दशक में संगीत सुनने वाले लोगों को एक नया स्वाद मिला.
यह एक समय ऐसा भी था जब बप्पी लाहिड़ी का नाम आते ही लोगों के जहन में झुमते हुए गानें और कई डांस नंबर याद आते हैं.
बप्पी लाहिड़ी का निजी जीवन
27 नवंबर, 1952 को बप्पी लाहिड़ी का जन्म बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था. वे एक धनाढ्य़ संगीत घराने से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता अपरेश लाहिड़ी एक प्रसिद्ध बंगाली गायक थे. उनकी माता बांसरी लाहिड़ी (Bansari Lahiri) भी बांग्ला संगीतकार थीं.बप्पी दा अपने माता पिता की अकेली संतान हैं.
तीन साल की उम्र में तबला सीखना शुरू किया
महज तीन साल की उम्र में तबला सीखने के साथ इन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की.संगीतकार किशोर कुमार और एस. मुखर्जी उनके संबंधी हैं. उन्होंने संगीत अपने माता पिता से ही सीखा. 19 साल की उम्र में पहली बार उन्हें बंगाली फिल्म “दादु” (Daadu) में गाना गाने के लिए चुना गया.
बप्पी लाहिड़ी का व्यक्तित्व
बप्पी लाहिड़ी की बात हो और उनके स्टाइल पर नजर ना जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. बप्पी लाहिड़ी हमेशा रॉकस्टार की लुक में नजर आते हैं. उनके पहनावे में अधिकतर ट्रैकसूट या कुर्ता पायजामा होता है.इसके साथ ही बप्पी लाहिड़ी अपने धूप के चश्मों को गर्मी हो या सर्दी कभी नहीं छोड़ते.
सोने से विशेष प्यार
बप्पी लाहिड़ी की एक और खासियत उनके गहने हैं.गले में सोने की मोटी चेन और भारी-भारी अंगूठियां पहले बप्पी लाहिड़ी को देखने वाले सोने की दुकान तक कहते हैं,लेकिन सच तो यह है कि बप्पी लाहिड़ी को सोने से बेहद लगाव है और वह सोने को अपने लिए लकी मानते हैं.
महज 19 साल की उम्र में शुरू किया हिन्दी फिल्मों में करियर
बप्पी लाहिड़ी 19 साल की उम्र में ही बॉलिवुड में नाम कमाने के लिए मुंबई चले गए.साल 1973 में उन्हें हिन्दी फिल्म “नन्हा शिकारी” में गाना गाने का मौका मिल गया. हालांकि उन्हें बॉलिवुड में असली पहचान 1975 की फिल्म “जख्मी” से मिली.इस फिल्म में उन्होंने मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे महान गायकों के साथ गाना गाया. इसके बाद तो जैसे बप्पी दा का गाना सबकी जुबान पर छाने लगा.
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80 के दशक में चला बप्पी दा का सिक्का
अस्सी के दशक में हिंदी के पापुलर सिनेमा में तीन हीरो छाये हुए थे. नंबर वन अमिताभ, नंबर दो जीतेंद्र और तीसरे मिथुन चक्रवर्ती. लेकिन उस दौर में म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में बप्पी दा ही सिक्का चल रहा था. इसकी वजह से इन तीनों अभिनेताओं में से दो मिथुन और जीतेंद्र की हिम्मतवाला, मवाली सहित लगभग सारी फिल्मों में बप्पी दा का ही म्यूजिक रहता था. वहीं अमिताभ बच्चन की भी कुछ हिट फिल्में जैसे नमक हलाल, शराबी आदि में भी म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी ही थे.
ऊ ला ला ऊ ला ला तू है मेरी फैंटेसी
2011 में रीलीज हुई विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह और तुषार कपूर की फिल्म द डर्टी पिक्चर सुपर हिट हुई थी. इस फिल्म के एक गीत ऊ ला ला ऊ ला ला तू है मेरी फैंटेसी ने गजब की धूम मचाई थी. यह गीत बप्पी लाहिड़ी ने ही गाया था. एक लंबे अर्से तक लगभग भूला दिये गये से बप्पी दा फिर से एक बार चर्चा में आ गये थे. इसके बाद इन्होंने गुंडे (13), बद्रीनाथ की दुल्हनिया (17)) शुभ मंगल ज्यादा सावधान तथा बागी – 3 (20) में भी म्यूजिक दिया.
हालांकि उन पर कई बार विदेशी धुनों को भी चुराने का आरोप लगा पर उन्होंने इसकी कभी परवाह नहीं की और अपनी धुन में आगे बढ़ते चले गये. . 1990 के दशक में बप्पी दा फिल्मों से थोड़ा अलग होकर निजी एलबमों पर भी काम किया.
हिट गाने
* जलता है जिया मेरा भीगी-भीगी रातों में (जख्मी)
* एक तो कम ज़िन्दगानी उससे भी कम (धर्माधिकारी )
* गोरी तेरे अंग अंग मे रूप रंग के (तोहफा )
* नैनो में सपना सपनो में सजना (हिम्मतवाला)
* बंबई से आया मेरा दोस्त (आप की खातिर)
* ऐसे जीना भी क्या जीना है (कसम पैदा करने वाले की),
* रात बाकी बात बाकी (नमक हलाल)
* यार बिना चैन कहां रे (साहेब)
* मंजिलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह (शराबी)
* मुझे नौलक्खा माँगा दे रे (शराबी)
* के पग घुंघरू बाँध मीरा नाची थी(नमक हलाल)
* दिल में हो तुम, आँखों में तुम (सत्यमेव जयते)
* तू मुझे जान से भी प्यारा है (वारदात )
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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