
Dhanbad : मंगलवार को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का असर धनबाद में भी दिखा. बैंकों के विलय समेत सरकार के अन्य सभी जन विरोधी निर्णय के विरोध में बैंक कर्मचारी ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन, बैंक इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर बैंकों को बंद रखकर सड़क पर उतरे.
दस बैंकों के विलय के विरोध में इस हड़ताल में अधिकारी शामिल नहीं हैं लेकिन नैतिक समर्थन हड़ताल को दिया है. भारतीय स्टेट बैंक, ग्रामीण बैंक, को ऑपरेटिव बैंक और निजी बैंक हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
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खराब ऋणों की वसूली सुनिश्चित करे सरकार
यूनियन के नेताओं ने कहा कि विलय देशहित में नहीं है. निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने और ग्रामीण इलाकों में शाखाओं का विस्तार करने पर सरकार को जोर देना चाहिए.
एनपीए की वसूली में तेजी लानी चाहिए. महत्वपूर्ण बातों को दरकिनार कर सरकार बैंकों का विलय करने में जुटी है. इससे बाध्य होकर हड़ताल पर जाना पड़ रहा है.
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इन दस बैंकों को किया जायेगा मर्ज
दस बैंकों को आपस मे मर्ज कर चार बैंक को ही अस्तित्व में रखने की योजना सरकार ने बनायी है. पंजाब नेशनल बैंक के साथ ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स एवं यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक के साथ सिंडिकेट बैंक, इंडियन बैंक के साथ इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक के साथ आंध्रा बैंक एवं कॉर्पोरेशन बैंक को मर्ज करने का निर्णय सरकार ने लिया है.
ज्ञात हो कि सरकार इससे पूर्व भी एसबीआई में सभी एसोसिएट बैंक और देना बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक को मर्ज कर चुकी है. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि एसबीआई विलय के पश्चात 6950 शाखाओं को बंद किया गया है.
बैंक ऑफ बड़ौदा भी 900 शाखाओं को बंद करने की प्रक्रिया में है. सरकार का यह तर्क है कि बड़े बैंक होने से बड़े ऋण आसानी से दिये जा सकेंगे. आज खराब ऋण का 75 प्रतिशत हिस्सा बड़े कॉरपोरेट घरानों का है. बड़े ऋण होने से यह प्रतिशत और भी बढ़ेगा और बैंको की वित्तीय स्थिति और खराब होगी.