
- जेएमएम का आरोप, 2014 में बीजेपी सरकार बनाने के लिए ही बाबूलाल ने अपने 6 विधायकों को भेजा था.
- मैनहर्ट प्रकरण से बचाने के लिए भी बीजेपी में जाना एक बड़ा कारण
Ranchi : पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के बीजेपी में विलय को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने महज एक संजोग नहीं बल्कि एक प्रयोग बताया है. बाबूलाल पर अपने विधायकों को महज एक उपभोग की वस्तु बनाने का आऱोप लगाते हुए पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि, यह बाबूलाल का नेचर ही है. उन्होंने कहा कि 2014 में जब उनके 6 विधायक ने बीजेपी सरकार बनाने में मदद की थी, तो उसके पीछे का सारा खेल बाबूलाल मरांडी का ही था.
उस वक्त जब बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं था, तो बाबूलाल ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष कहा था कि वे उनके 6 विधायक का सहयोग लें. सुप्रियो ने यहां तक कहा कि आज बीजेपी के अंदर सारे भ्रष्टाचारी समाते जा रहे हैं.
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कार्यकर्ता नहीं बल्कि निजी कर्मचारी थाम रहे बीजेपी का दामन
उन्होंने कहा कि बाबूलाल ने जिस सांस्कृतिक परिवेश में राजनीति शुरू किया था. उसका प्रभाव उनपर हमेशा से रहा है. बीजेपी से निकलने के बाद उन्होंने विपक्ष की मदद से बीजेपी की नीतियों का जितना विरोध किया. दरअसल उसके पीछे एक सोची-समझी राजनीति थी.
उन्होंने कहा कि प्रभाव के तहत ही बाबूलाला ने पांच साल पहले अपने 6 विधायकों को बीजेपी की मदद के लिए भेजा था. 2019 के चुनाव में 3 विधायक जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीते. लेकिन जब दो विधायक (बंधु तिर्की और प्रदीप यादव) ने उनके बीजेपी में जाने का विरोध किया. तो उनके पास अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी में शामिल होने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल के साथ जेवीएम का कोई कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा है. बल्कि केवल उनके निजी सहयोगी ही बीजेपी का दामन थामेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर संपूर्ण जेवीएम का बीजेपी में विलय होता, तो मिलन समारोह का आयोजन जेवीएम की तरफ से होता. लेकिन समारोह का आयोजन तो बीजेपी कर रही है.
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मैनहर्ट प्रकरण से खुद को बचाने के लिए हो रहे हैं बीजेपी में शामिल
जेएमएम प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी में शामिल होने के पीछे बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल का मैनहर्ट प्रकरण भी जुड़ा है. हेमंत सरकार ने सत्ता में आते ही पहले की सरकार के सभी कामों की जांच शुरू कर दी है.
जाहिर है कि बाबूलाल के कार्यकाल में हुए मैनहर्ट प्रकरण (उस वक्त तत्कालीन नगर विकास मंत्री पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास थे) की जांच होगी. उस प्रकरण से वे खुद को कैसे बचा पाएंगे, इसके लिए ही उन्होंने बीजेपी में जाने का मन बनाया है.
बीजेपी नेतृत्व के पास नहीं बचा सदन में बनाने लायक विपक्ष का नेता
उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे अधिक सदस्यता वाली पार्टी होने का दावा बीजेपी करती है. लेकिन आज की स्थिति यह है कि बीजेपी का एक भी ऐसा नेता नहीं है, जो सदन में विपक्ष के नेता का भूमिका अदा कर सके.
साथ ही कहा कि आज विधानसभा चुनाव के पूरे होने के करीब 2 माह पूरे होने को हैं, लेकिन बीजेपी ने सदन में अपना नेता घोषित नहीं किया है. यहीं कारण है कि बीजेपी नेताओं ने बाबूलाल को पार्टी में शामिल कराया है. ताकि उनके विचारधारा वाले नेता पार्टी का प्रतिनिधित्व सदन में कर सकें.
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