
Ranchi: पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर शाह ब्रदर्स के मामले से अवगत कराया है. पत्र में लिखा है कि शाह ब्रदर्स के करमपदा माइंस खनन पट्टे की अवधि विस्तार वर्ष 2017 में इस शर्त के साथ की गयी थी,कि पट्टेधारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार क्षतिपूर्ति की राशि का एकमुश्त भुगतान समय सीमा के तहत किया जायेगा.
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लेकिन महाधिवक्ता द्वारा राज्य सरकार का पक्ष रखने के आधार पर कोर्ट ने शाह ब्रदर्स को 11 अक्तूबर 2018 तक 40 करोड़ रुपये और शेष बकाया पेनाल्टी राशि सितंबर 2020 तक जमा करने का आदेश दिया. लेकिन प्रथम किस्त जमा होने के तुरंत बाद ट्रांजिट परमिट (चालान) निर्गत करने का निर्देश दे दिया गया. पेनाल्टी की राशि 250.63 करोड़ रुपये एक मुस्त अदा करने का निर्देश दिया गया था.






पदाधिकारी रह गये अचंभित
मरांडी ने बताया कि कोर्ट के आदेश की जानकारी जैसे ही खान विभाग के अफसरों को मिली तो वे भी अचंभित रह गये. क्योंकि पट्टेधारी शाह ब्रदर्स एवं खान विभाग के बीच किसी भी संचिका में इस प्रकार की कोई सहमति और परिवहन चालान निर्गत करने का आदेश ही नहीं है. सभी विभागीय अधिकारियों ने (निदेशक, उपनिदेशक, सहायक खान पदाधिकारी चाईबासा) विभागीय फाइल में कथित सहमति पत्र नहीं होने का उल्लेख करते हुए नौ अक्तूबर 2018 को मागदर्शन के लिये खान सचिव के पास भेज दी. 11 अक्तूबर 2018 को खान सचिव ने आवश्यक मागदर्शन के लिये संचिका विधि विभाग को भेज दी.
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सरकार और महाधिवक्ता की मिलीभगत
मरांडी ने कहा कि पूरे प्रकरण में राज्य सरकार और महाधिवक्ता का शाह ब्रदर्स के साथ मिलीभगत प्रमाणित होता है. कहीं न कहीं सरकार शाह ब्रदर्स को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाकर उपकृत करना चाहती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आलोक में झारखंड की बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे टाटा स्टील, रूंगटा माइंस, अनिल खिरवाल, रामेश्वरम जूट, देबुका भाई भेलजी एवं कई कंपनियों ने तय समय सीमा के अंदर एक मुश्त राशि का भुगतान किया था.
मरांडी ने खड़े किये सवाल
पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने इस प्रकरण पर कई सवाल खड़े किये हैं. सरकार से पूछा है कि क्या राज्य सरकार एकतरफा निर्णय किसी खास कंपनी के पक्ष में ले सकती है? क्या राज्य सरकार के महाधिवक्ता कोर्ट में किसी खास कंपनी के पक्ष में झूठ बोलकर कोर्ट को दिगभ्रमित कर आदेश पारित करा सकते हैं? क्या इससे महाधिवक्ता पद की गरिमा एवं विश्वसनीयता को ठेस नहीं पहुंची है?
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मिस कंडक्ट ऑफ कोर्ट का भी बनता है मामला
इस पर मिस कंडक्ट ऑफ कोर्ट का भी मामला बनता है. मरांडी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से आग्रह किया है कि इस महत्वपूर्ण आर्थिक अपराध से संबंधित मामले पर अपने स्तर से संज्ञान लेकर राज्य के महाधिवक्ता को अविलंब पदमुक्त करें. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच रिटायर न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर करायें. दोषियों पर यथोचित कार्रवाई करें.