
New delhi: बिहार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी के हौसले बुलंद हैं. बिहार चुनाव में पांच सीटें जीतकर ओवैसी ने सभी राजनीतिक पार्टियों को चौंका दिया था. बिहार चुनाव के बाद ओवैसी ने उतर प्रदेश में होने वाले चुनाव में भी में एंट्री लेने की मंशी जाहिर की है. ओवैसी के इस एलान के बाद से प्रदेश में सभी पार्टियां अपने-अपने समीकरणों और नफा-नुकसान का आकलन कर रही हैं. राजनीतिक जानकार इसी बात पर निगाह लगाए हैं कि क्या बिहार में ओवैसी के साथ रहीं मायावती यहां भी उनके साथ रहेंगी. इसके अलावा शिवपाल यादव पर भी अभी संशय बरकरार है. बता दें कि अभी तक उत्तर प्रदेश में होने वाले विस चुनाव में मायावती और ओवैसी की ओर से अब तक साथ आने के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है. लेकिन माना जा रहा है कि बिहार के तरह यूपी में दोनों का साथ आना इतना आसान नहीं होगा.
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अल्पसंख्यक वोटों पर होगी नजर
बिहार चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी ने सिर्फ अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में चुनाव लड़ा था. इसी कारण पार्टी को 5 सीटें मिल पायी थी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि यहां भी ओवैसी वहीं नीति दोहरा सकते हैं. बता दें कि सपा-बसपा अपने पाले में सीटें करने के लिए कोर वोट बैंक के साथ मुस्लिम वोटों पर आश्रित रहती हैं. ओवैसी की सक्रियता को इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इससे मुस्लिम वोटों में सेंधमारी बढ़ेगी. अगर ओवैसी अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर असर दिखाने में कामयाब हो गए तो यह अल्पसंख्यक वोट चाहने वाली पार्टियों को रास नहीं आएगा. बता दें कि प्रदेश में 110-120 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक माने जाते हैं.
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