
Prayagraj : डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) द्वारा देश में मालवाहक रेलगाड़ियों की गति को 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किये जाने के साथ ही भारतीय रेलवे के 70 प्रतिशत मालवहन बोझ के खत्म होने की उम्मीद है. डीएफसीसीआईएल का मानना है कि इससे यात्री गाड़ियों के परिचालन की क्षमता बेहतर होगी.
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डीएफसीसीआईएल के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने यहां संवाददाताओं से कहा, हमारा गलियारा पूरी तरह मालवहन को समर्पित है. भारतीय रेल का जब 70 प्रतिशत यातायात हमारे गलियारे पर आ जायेगा तो भारतीय रेल गतिमान और वंदे भारत जैसी तेज गति वाली और अधिक यात्री रेलगाड़ियां चला पायेगा.
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मालवाहक रेलगाड़ियों की औसत गति 25 किलोमीटर प्रतिघंटा
सचान ने कहा भारतीय रेल की यात्री गाड़ियां अभी 60 और 70 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से नहीं चल सकतीं क्योंकि समान पटरियों पर ही मालवाहक रेलगाड़ियां भी दौड़ती हैं और इनकी औसत गति 25 किलोमीटर प्रतिघंटा है. वह यहां पूर्वी समर्पित मालवहन गलियारा के एक निर्माण स्थल की यात्रा के दौरान पत्रकारों से संवाद कर रहे थे.
यह गलियारा पंजाब में लुधियाना से शुरू होकर कोलकाता के पास दानकुनी तक जाता है. पूर्वी गलियारे के दिसंबर 2021 तक पूरा होने और आंशिक तौर पर चालू होने की उम्मीद है.
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डीएफसीसीआईएल का पूर्वी गलियारा 1,856 किलोमीटर लंबा है
सचान ने कहा कि डीएफसीसीआईएल जल्द ही पार्सल सेवाओं के लिए पूर्वी गलियारे के कानपुर से खुर्जा खंड पर परिचालन शुरू कर देगी. डीएफसीसीआईएल का पूर्वी गलियारा 1,856 किलोमीटर लंबा है. इसे विश्वबैंक की ओर से आंशिक मदद मिली है. वहीं पश्चिम समर्पित मालवहन गलियारा हरियाणा के रेवाड़ी से शुरू होकर मुंबई के जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह तक जायेगा.
अभी देश का अधिकतर मालवहन सड़क मार्ग से होता है
इसे जापान सरकार की वित्तीय सहायता इकाई जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जीका) से मदद मिली है. सचान ने कहा कि भारतीय रेल 1950 के दशक से मालवहन कर रही है. पहले यह देश के कुल मालवहन का 86 प्रतिशत संभालती थी लेकिन अब यह घटकर 36 प्रतिशत रह गया है.
अब देश का अधिकतर मालवहन सड़क मार्ग से होता है. उन्होंने कहा कि चीन में 47 प्रतिशत तक और अमेरिका में 48 प्रतिशत तक मालवहन रेल नेटवर्क से होता है जो एक आदर्श स्थिति है.
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