
NewDelhi : सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से कथित तौर पर राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखे जाने की खबरों पर विवाद शुरू हो गया है. बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तीन सेना प्रमुखों समेत 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है, लेकिन इस पत्र पर विवाद हो गया है. इस मामले में सेना के पूर्व अफसरों के अलग-अलग बयान सामने आये हैं.
पूर्व आर्मी चीफ एसएफ रॉड्रिग्स और एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने ऐसे किसी पत्र के लिए अपनी सहमति से इनकार किया है. दूसरी ओर मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ और पूर्व आर्मी चीफ शंकर रॉय चौधरी ने पत्र लिखे जाने की बात स्वीकारी है. पूर्व आर्मी चीफ एसएफ रॉड्रिग्स ने कहा कि ऐसे किसी लेटर के बारे में जानकारी नहीं है.
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राष्ट्रपति भवन सूत्रों ने भी ऐसा पत्र मिलने से इनकार किया
बता दें कि पूर्व सैन्य अधिकारियों के नाम से सर्कुलेट हो रहे पत्र में उनका पहला नाम बताया जा रहा था. राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने भी ऐसा कोई पत्र मिलने से इनकार किया है. यही नहीं एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने भी ऐसे किसी पत्र पर साइन करने की बात नकारी है. इस संबंध में पूर्व आर्मी चीफ रॉड्रिग्स ने कहा, मैं नहीं जानता कि यह सब क्या है. मैं अपनी पूरी जिंदगी राजनीति से दूर रहा हूं. 42 साल तक अधिकारी के तौर पर काम करने के बाद अब ऐसा हो भी नहीं सकता. मैं हमेशा भारत को प्रथम रखा है.
मैं नहीं जानता कि यह कौन फैला रहा है. यह फेक न्यूज का क्लासिक उदाहरण है. इस क्रम में पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू ने भी कहा है कि ऐसे किसी पत्र के लिए उनकी ओर से सहमति नहीं ली गयी थी और न ही मैंने ऐसा कोई पत्र लिखा है.
एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने कहा, यह एडमिरल रामदास की ओर से लिखा लेटर नहीं है. इसे किसी मेजर चौधरी ने लिखा है. उन्होंने इसे लिखा है और यह वॉट्सऐप और ईमेल किया जा रहा है. ऐसे किसी भी पत्र के लिए मेरी सहमति नहीं ली गयी थी. इस पत्र में जो कुछ भी लिखा है, मैं उससे सहमत नहीं हूं. हमारी राय को गलत ढंग से पेश किया गया है.
बता दें कि कई मीडिया वेबसाइट की खबरों में यह दावा किया गया था कि पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल और भाषणों में मोदी की सेना जैसी टिप्पणी पर आपत्ति जताई है. हालांकि अब अधिकारियों की ओर से ही पत्र लिखे जाने या उस पर हस्ताक्षर किये जाने की बात से इनकार के बाद अब नया विवाद खड़ा हो गया है.