
Anand Kumar
बीते शनिवार को नयी दिल्ली के होटल ताज में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह सहित टाटा स्टील के एमडी टी नरेंद्रन जैसे तमाम वीवीआइपीज के साथ एक ऐसा शख्स भी था, जो टेरर फंडिंग यानी आतंक को वित्त पोषित करने के मामले का आरोपी है. उसे आरोपी बनाया है एनआइए ने. एनआइए वह संस्था है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरों, देश विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच करती है. यानी एक ऐसा शख्स जिसे देश की सबसे भरोसेमंद राष्ट्रीय जांच एजेंसी आतंक को पालने-पोसने का संदेही मानती है, वह दिल्ली के एक सरकारी कार्यक्रम में नामी-गिरामी और अति विशिष्ट लोगों के बीच मौजूद था. वह शख्स है आधुनिक पावर का एमडी महेश अग्रवाल. आधुनिक पावर ने वहां 1900 करोड़ रुपये के एक एमओयू पर हस्ताक्षर भी किये. आधुनिक समूह इससे पहले भी झारखंड सरकार के साथ कई एमओयू कर चुका है. उन एमओयू से झारखंड को कितना फायदा और कितना नुकसान हुआ, यह भी हम आपको आगे की कड़ियों में बतायेंगे. लेकिन फिलहाल चर्चा आधुनिक और महेश अग्रवाल की.
नब्बे के दशक में कोलकाता के एक ट्रेडर महादेव प्रसाद अग्रवाल ने एक छोटी सी कंपनी की नींव रखी थी, लेकिन 2012 आते-आते उनके सबसे छोटे बेटे मनोज अग्रवाल ने इसे इसे करीब 5000 करोड़ का अंपायर बना दिया. उनके औद्योगिक साम्राज्य में दो स्टील प्लांट, एक पैलेट प्लांट, एक पावर प्लांट और कई ट्रेडिंग कंपनियां शामिल थीं. छह भाइयों में सबसे छोटे मनोज अग्रवाल पहले टाटा स्टील से स्क्रैप और हाई सल्फर उठा कर पंजाब के मंडी गोविंदगढ़ में बेचा करते थे. यह काम करते उनका संपर्क टाटा स्टील के कुछ बड़े अधिकारियों से हुआ और उनकी सलाह और निर्देशन में उन्होंने ओडिशा के राउरकेला में पहला स्टील प्लांट लिया जिसका नाम था नेपाज स्टील, इसके बाद उड़ीसा मैंगनीज एंड मिनरल्स नाम की आयरन ओर कंपनी खरीदी. और इस तरह नींव पड़ी आधुनिक ग्रुप ऑफ कंपनीज की, जिसने 19 अगस्त 2005 को बड़े धूमधाम के साथ झारखंड में अपना पहला एमओयू किया. अर्जुन मुंडा तब मुख्यमंत्री थे. मनोज अग्रवाल ने सरायकेला जिले के कांड्रा में 2.6 मिलयन टन की क्षमतावाले स्टील प्लांट की नींव रखी.
दरअसल यहां भी आधुनिक ने सरकार की आंखों में धूल झोंकी. दरअसल कांड्रा में आधुनिक पहले से ही एक छोटा सा स्पंज आयरन प्लांट चला रहा था. इसे ही 2.5 मिलियन टन का इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट बताकर आधुनिक ने सरकार से एक और एमओयू किया. वह था सरायकेला के पदंमपुर में 1035 मेगावाट का सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट लगाने का. 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इसका उदघाटन किया. सरकार से जमीन और रियायती कोयला सहित तमाम सुविधाएं लेनेवाले आधुनिक ने 1035 के बदले मात्र 540 मेगावाट का प्लांट लगाया. जहर उगलता यह पावर प्लांट आज आसपास के पांच दर्जन गांवों के साथ 50 हजार से ज्यादा की आबादी के लिए सिरदर्द बन चुका है.
बहरहाल मनोज अग्रवाल एक अच्छे उद्यमी तो थे लेकिन अच्छे कारोबारी नहीं निकले. परिचालन के भारी-भरकम खर्चों और कोयला और जमीन का काम देख रहे भाई-भतीजों ने कपनी पर इतना बोझ डाला कि दीवाला निकलने की नौबत आ गयी. आधुनिक कारपोरेशन के बैनर तले दुर्गापुर और मेघालय में स्टील और सीमेंट उद्योग चलानेवाले मंझले भाई महेश अग्रवाल ने छोटे भाई मनोज अग्रवाल को अपदस्थ कर मैनेजिंग डायरेक्टर की कुर्सी पर कब्जा कर लिया. लेकिन हालत नहीं सुधरी. इधर आधुनिक की कंपनियों में पैसा लगानेवाले बैंक और वित्तीय संस्थान नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में चले गये. एनसीएलटी ने राउरकेला और कांड्रा स्थित स्टील प्लांट और उड़ीसा मैंगनीज एंड मिनरल्स कंपनी को बेच कर निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया. अग्रवाल बंधुओं के पास सिर्फ आधुनिक पावर बच गया. इसमें भी उनकी हिस्सेदारी घट कर 20 फीसदी से भी कम हो गयी. कंपनी को चलाने के लिए उन्होंने निवेशकों के कंसोर्टियम से सांठगांठ कर वित्तीय संस्थान एडलवीस (Edelweiss) को कंपनी में पैसा लगाने और इसका संचालन करने के लिए राजी कर लिया. एडलवीस का फायदा यह हुआ कि कंपनी में अग्रवाल बंधुओं की होल्डिंग बहुत कम होने और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जगह नहीं रहने के बावजूद कारखाने के परिचालन और कच्चे माल की आपूर्ति संबंधी कार्यों में उनकी संलिप्तता और हित बरकरार रहा.
इसी कच्चे माल यानी कोयला की आपूर्ति से जुडा है टेरर फंडिग का मामला. आधुनिक पावर का कोयला पिपरवार से उठता है. नक्सलियों को मैनेज किये बिना यहां से कोयले का एक टुकड़ा भी निकाल पाना संभव नहीं है. कुछ समय पहले मीडिया रिपोर्टों के आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों ने आतंकी और नक्सली संगठनों को फंडिग के रूट की जांच शुरू की, तो इसमें कई रसूखदारों और सफेदपोशों के नाम भी सामने आये. इसमें एक नाम महेश अग्रवाल का भी था. एनआइए ने उन्हें और आधुनिक पावर के कुछ अधिकारियों को आरोपी बनाया. उनके महाप्रबंधक (कोल) संजय जैन गिरफ्तार होकर लंबे समय तक जेल में रहे. महेश अग्रवाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ. फिलहाल महेश जमानत पर हैं.
यही महेश अग्रवाल जो अब पिछले दरवाजे से दोबारा इंट्री मार कर आधुनिक पावर के एमडी बन चुके हैं, 28 अगस्त को उद्योग विभाग द्वारा आयोजित इन्वेस्टर्स मीट में झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति-2021 के लोकार्पण समारोह में एमडी की हैसियत से उपस्थित थे. लौह अयस्क बेचने, वाटर टैरिफ और पर्यावरण सेस में सरकार को 1000 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाने, नक्सलियों को फंडिंग करने, आदिवासी जमीन दाताओं को छलने, प्रदूषण फैलाने, वन भूमि का अतिक्रमण करने और अवैध खनन को लेकर यह चर्चित यह कंपनी एक बार फिर झारखंड को विकास का सब्जबाग दिखाने आयी है. अब यह सरकार पर निर्भर करेगा कि वह झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने और बर्बाद करनेवाली इस कंपनी के पुराने कामकाज की समीक्षा करती है अथवा नहीं. सवाल यह भी है कि दीवालिया होकर जिस आधुनिक को आधुनिक एलॉयज और ओएमएम जैसी कंपनियां बेचनी पड़ीं और आधुनिक पावर के बोर्ड से बाहर होना पड़ा, वह एक साल के अंदर 1900 करोड़ का निवेश करने लायक कैसे हो गयी.
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