
Ranchi: पूर्व आईपीएस अमिताभ चौधरी को झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन जेपीएससी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. हमेशा से विवादों में रहने वाली जेपीएससी की पहचान एक अक्षम संस्था के रुप में हो गयी है. जेपीएससी के इस दाग को धोना अमिताभ चौधरी के लिये एक बड़ी चुनौती होगी. हालांकि माना जाता है कि अमिताभ की पहचान एक कुशल प्रशासक के तौर पर रही है. वे रिजल्ट ओरिएंटेड काम के लिये जाने जाते हैं. ऐसे में अमिताभ के लिये अपनी इस छवि को बचाये रखना बड़ी चुनौती होगी. मतलब साफ है कि जेपीएससी के अध्यक्ष के तौर पर अमिताभ की असली परीक्षा होगी.
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छह वर्षों में जेपीएससी सिर्फ एक ही सिविल सेवा परीक्षा ले पाया
जेपीएससी द्वारा ली जानेवाली परीक्षाओं के माध्यम से विभिन्न विभागों में होनेवाली 2600 बहालियां अधर में लटकी हुई हैं. इसे पूरा कराने के साथ-साथ नई नियुक्तियों के लिये प्रक्रिया भी चालू कराना एक बड़ी चुनौती होगी. पिछले छह साल में जेपीएससी सिर्फ एक सिविल सेवा परीक्षा ले पाया है. इसे नियमित करना भी उनके लिये बड़ी चुनौती होगी.
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इन चुनौतियों से निपटना होगा नये अध्यक्ष को
सबसे पहले तो पूर्व नियोजित परीक्षा को सही समय पर कराना होगा. इसके बाद इनके रिजल्ट को बिना किसी त्रुटि के प्रकाशित करने की चुनौती होगी. जो अबतक जेपीएससी के परीक्षाओं को लेकर होनेवाले विवादों का सबसे बड़ा कारण रहा है. वहीं जेपीएससी ने कई ऐसी परीक्षाएं ली हैं जिनको लेकर याचिकाएं कोर्ट में हैं. इन पर जल्द से जल्द पक्ष रखकर निर्णय करा लेना भी चुनौती है. जेपीएससी को प्रोमोशन संबंधी मामलों का निपटारा करना जरूरी है जो लंबे समय से लंबित है.
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पांच साल लग गए छठी सिविल सेवा परीक्षा में
पिछली जेपीएससी परीक्षा पूरी होने में पांच साल लग गये थे. उसे एक साल में कराना चुनातीपूर्ण होगा. इसके अलावा कई अन्य विभागों में नई नियुक्तियों को लाना और पूरी प्रक्रिया बिना विवाद के पूरा करा लेना सबसे बड़ी चुनौती में से एक होगा. माना जाता है कि जेपीएससी अध्यक्ष का पद राजनीतिक रूप से प्रभावित होता है और गठबंधन की सरकार में इसको बैलेंस करना भी अमिताभ चौधरी के लिये बेहद जरूरी होगा.
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जेपीएससी में अध्यक्ष नहीं होने से नियुक्तियां हो रही थी प्रभावित
झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) में अध्यक्ष का पद रिक्त होने से आयोग में कई काम प्रभावित हो रहे थे. पूर्व निर्धारित प्रतियोगिता परीक्षाएं भी टल रही थी. आयोग अपरिहार्य कारण बताते हुए अबतक पूर्व निर्धारित दो प्रतियोगिता परीक्षाओं को स्थगित कर चुका है. अध्यक्ष पद रिक्त होने से दोनों परीक्षाओं के संबंध में कुछ जरूरी निर्णय नहीं लिए जा सके थे जिससे परीक्षाओं को स्थगित करना पड़ा. अब ये प्रभावित नहीं होगा. आयोग को सबसे पहले कृषि विभाग में सहायक निदेशक सह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के पद पर होनेवाली लिखित परीक्षा स्थगित करनी पड़ी थी. यह लिखित परीक्षा 12 से 16 अक्टूबर तक होनेवाली थी. इसी तरह विभिन्न निर्माण कार्य विभागों में सहायक अभियंताओं की नियुक्त के लिए होनेवाली मुख्य परीक्षा भी स्थगित कर दी गयी. यह परीक्षा छह से नौ नबंवर तक होनेवाली थी. नवंबर माह में भी कई अन्य परीक्षाएं प्रस्तावित हैं अब अध्यक्ष मिल जाने से इन परीक्षाओं को सही समय पर लिया जा सकेगा.
इन नियुक्तियों को मिल सकती है गति
-अस्सिटेंट टाउन प्लानर
-बीआईटी सिंदरी असिस्टेंट बैकलॉग
-पब्लिक हेल्थ अफसर
-असिस्टेंट प्रोफेसर बैकलॉग
-एपीपी
-कृषि विभाग
-विवि में अधिकारी
-मेडिकल अफसर
-नगर विकास में असिस्टेंट इंजीनियर
-नगर विकास विभाग में अकाउंट अधिकार
-असिस्टेंट इंजीनियर
-छठी डिप्टी कलेक्टर सीमित परीक्षा
-बीएयू में प्रोफेसर
-बीआईटी सिंदरी प्रोफेसर
-विवि में प्रोफेसर.
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