
Ranchi : ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन फेडरेशन द्वारा घोषित देशव्यापी कार्यक्रम के तहत एक्टू से संबद्ध झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन से जुड़े सैकड़ों मजदूरों ने बुधवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया. धरना के उपरांत मजदूरों द्वारा अपने अधिकारों को लेकर राज्यपाल के माध्यम से केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को 13 सूत्री मांगपत्र सौंपा गया. धरना को संबोधित करते हुए एक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला. सेन ने भाजपा सरकार के सबका साथ, सबका विकास के नारे को धोखा बताया.
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उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार कंपनियों और मालिकों के पक्ष में मजदूर विरोधी फैसले ले रही है. झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान मजदूरों की मजदूरी भुगतान की कट ऑफ डेट तीन वर्ष से घटाकर 30 दिन कर देना मजदूरों के साथ भद्दा मजाक है. देश के निर्माण और विकास में मजदूरों का महत्वपूर्ण योगदान है, इसके बावजूद निर्माण मजदूरों के हितों की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्यों में निर्माण मजदूरों को मिलनेवाले लाभ एक समान नहीं हैं. एक देश एक टैक्स के नाम पर निर्माण मजदूरों के कल्याणार्थ निर्मित कल्याण बोर्ड में सेस की राशि जमा करने के प्रावधान को ही समाप्त करने की साजिश की जा रही है. यूनियन के महासचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि मजदूर अपनी जान की कीमत पर विकास को मूर्त रूप दे रहे हैं, लेकिन सरकार मेहनतकशों को बेल आउट पैकेज देने की बजाय कंपनियों पर मेहरबान है. इसकी कीमत सरकार को चुकानी होगी. इस धरना कार्यक्रम में इलिसबा एक्का, राजेदव महतो, उमेश गिरि, अलमा खलखो, खद्दी उरांव, प्रदीप सिंह, आईटी तिर्की, क्रिस्टीना पूर्ति, नरसिम्हा उरांव आदि ने संबोधित किया.


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मांगपत्र में मजदूरों ने की ये मांगें
- झारखंड सरकार द्वारा विधानसभा में पारित श्रम कानूनों में मालिक पक्षीय संशोधन को रद्द किया जाये.
- सेस की राशि की सख्ती से वसूली की जाये.
- केंद्रीय कानून में निहित प्रावधानों के तहत सेस की राशि 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत की जाये.
- मनरेगा बजट से भी सेस की राशि निर्माण मजदूर कल्याण कोष में जमा करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये.
- निर्माण और असंगठित क्षेत्र के अन्य मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कल्याण कोष में सकल घरेलू उत्पाद बजटीय प्रावधान सुनिश्चित किया जाये.
- न्यूनतम मासिक मजदूरी 18000 (अठारह हजार) रुपये लागू की जाये.
- राजधानी रांची समेत सभी शहरों में मजदूरों के लिए आवासीय कॉलोनी एवं गांवों के मजदूरों को पक्का मजदूर आवास देना सुनिश्चित किया जाये.
- सभी मजदूरों को ईएसआई, पीएफ, ग्रेच्युटी के लाभ देना सुनिश्चित किया जाये.
- झारखंड में पिछले 5 वर्षों में काम के दौरान दुर्घटना में मृत मजदूरों के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा का भुगतान किया जाये.