
Ranchi : सरकार कोई कृषि बिल लेकर आयी है, इसकी अधिक जानकारी नहीं है. किसी बात को लेकर कुछ विरोध हो रहा है यह मालूम है. अभी जितनी भी सरकारी योजनाएं चल रही है, उसका तो कभी कोई लाभ नहीं मिला. सरकार सीधे हमारी उपज ले तो कुछ बात बनें. ऐसे में कोई कृषि कानून आयें इससे, क्या फर्क पड़ता है. ये कहना है होचर गांव के राकेश कुमार साहू का. राकेश पिछले दस साल से पारिवारिक पेशा खेती में लगे है.
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जितनी मेहनत लगती है उतना लाभ नहीं हो पाता
एक एकड़ दस डिसमिल में ये धान उगाते है. 40 डिसमिल में गोभी आदि सब्जियां. राकेश के अनुसार फसल लगाने में जितनी मेहनत होती है, उतना इससे लाभ नहीं मिल पाता. इनके अनुसार ये पिछले पांच छह साल से कृषि बीमा के लिये आवेदन कर रहे है. जिसमें इनका तीन चार सौ रूपये खर्च होता है. लेकिन एक बार भी इन्हें इसका लाभ नहीं मिला. कृषि और बाजार का जिक्र करते हुए राकेश ने कहा कि अगर सरकार फसल लेती है या व्यवस्था मजबूत करती है. तो किसानों को जरूर लाभ मिलेगा. फिलहाल तो बाजार में दाम अधिक होने से ही लाभ मिल पाता है.
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एक टोकरी उपज बाजार ले जाने में लगते है 40 रूपये
राकेश कहते हैं कि उनके गांव से बाजार तक उपज ले जाने में बहुत सी परेशानियां है. होचर गांव के लोगों के लिये नजदीकी बाजार डेली मार्केट है. जो लगभग पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे तो मखमंदरों बाजार भी है, लेकिन यहां दाम कम मिलता है. डेली मार्केट जाने के लिये गांव के किसानों को सुबह तीन बजे ही घर से निकलना पड़ता है. राकेश ने बताया कि गांव से ऑटो में एक टोकरी सब्जी ले जाने में 40 रूपये लगते है. इसके बाद भी सुबह तीन बजे से डेली मार्केट के बाहर सड़क में बैठना पड़ता है. व्यापारी तो सुबह छह बजे तक आते है. इसमें कभी सब्जियां बिक्री होती है, तो कभी नहीं. कभी कभी दाम भी पूरा नहीं मिलता. ऐसे में परेशानी बहुत है. और लाभ कम.
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सब्जियों की खेती भी मौसम पर निर्भर
खेती बस परिवार चलाने लायक: बात चीत के दौरान राकेश ने बताया कि सरकारी योजनाओं के पीछे कितना भागे. परिवार बड़ा है. जिम्मेवारी है. धान तो परिवार के लिये होता है. सब्जियों से कुछ उम्मीद होती है. लेकिन वो भी मौसम पर निर्भर है. क्षेत्र की जमीन ऐसी है कि कीटनाशक नहीं देने से सब्जियां बर्बाद हो जाती है. गांव का हाल बताते हुए इन्होंने कहा सरकार अपनी गाड़ी भी भेज दें तो किसानों को लाभ नहीं मिलने वाला. राज्य में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की जानकारी राकेश को नहीं है. बात दें केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन कृषि विधेयक का विरोध जोर शोर से किया जा रहा है. हालांकि राजधानी के किसान इनसे अंजान है.
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