
Ranchi : राज्य सरकार आधी गर्मी बीतने के बाद सभी जिलों में खराब ट्यूबवेल बदलवायेगी. इसके लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग की तरफ से खराब पड़े ट्यूबवेल को बदलने, बंद चापाकलों के राइजर पाइप को बदल कर उसे चालू करने की कार्रवाई शुरू की गयी है.
विभाग के 35 प्रमंडलों में अलग-अलग निविदाएं आमंत्रित की जा रही हैं. यह काम गर्मी शुरू होने से पहले करना था, ताकि ग्रामीण इलाकों में रहनेवाली आबादी को पीने के पानी के लिए तरसना न पड़े.
मार्च में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद विभाग की तरफ से टेंडर निकाला भी गया, लेकिन संवेदक टर्नअप नहीं हो रहे थे. झारखंड सरकार अब दो चरणों का चुनाव होने के बाद खराब पड़े ट्यूबवेल को बदलने में एक बार फिर सक्रिय हो गयी है.
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राज्य में चार लाख से अधिक ट्यूबवेल, हरेक साल 20 से 30 हजार होते हैं खराब
राज्य भर में चार लाख से अधिक ट्यूबवेल ग्रामीण इलाकों में हैं. प्रत्येक वर्ष 20 से 30 हजार ट्यूबवेल खराब होते हैं, जिसकी विशेष मरम्मत और उसके खराब पड़े राइजर पाइप को बदलने का काम किया जाता है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 10 नवंबर 2018 के पहले ही सभी सूखा प्रभावित जिलों से खराब पड़े ट्यूबवेल की सूची समेत सूखे की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी. सरकार की तरफ से आपदा प्रबंधन विभाग से इसके लिए 120 करोड़ रुपये मांगे गये थे. यह राशि आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से मार्च 2019 में पेयजल और स्वच्छता विभाग को उपलब्ध करायी गयी, ताकि लोगों को 24 घंटे सातों दिन पीने का पानी उपलब्ध हो सके.
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क्यों नहीं आ रहे संवेदक
संवेदक ट्यूबवेल रीप्लेसमेंट और री-एलोकेशन के काम में विभाग की तय शर्तों के एवज में नहीं आ रहे हैं. सरकार ने संवेदकों से पिछले पांच साल का अनुभव और ट्यूबवेल बदलने का लिखित प्रमाण पत्र मांगा है.
इसके अलावा निविदादाताओं से पांच वर्ष का टर्न ओवर भी मांगा गया है. न्यूनतम पांच करोड़ का टर्न ओवर भी दिखाना जरूरी किया गया है. इसके अलावा अन्य शर्तें भी शामिल हैं, जिसमें विभाग की तरफ से संवेदक का निबंधन होना अनिवार्य है.