
Ranchi : केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों बजट पेश किया गया. वह बजट देश के वित्तीय आधार को और कमजोर कर देगा. बजट 2020 को देखें तो जानकारी होगी कि धनी वर्ग और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ पहुंचाने का काम किया गया है. उक्त बातें सीपीआइ सचिव और पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहीं. वे मंगलवार को वामदलों के संयुक्त धरना प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे.
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इस दौरान उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार ने धनी वर्गों की सहायता बजट के जरिये की. वहीं दूसरी ओर आम जनता की आजीविका पर निर्ममतापूर्वक हमला किया. मेहता ने कहा कि इतना ही नहीं, केंद्र सरकार लगातार सरकारी संपत्तियों को बेचने या निजीकरण का प्रस्ताव ला रही है.
जो बताता है कि सरकार की मंशा आम जन के लिए सही नहीं है. यह सरकार सिर्फ कॉरपोरेट और बड़े धनी वर्गों को रियायत देने का काम कर रही है. इस धरना में सीपीआई माले, सीपीआइ, सीपीआइएम और मासस के प्रतिनिधि शामिल हुए.
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देश में घृणा और हिंसा का वातावरण तैयार किया जा रहा
वहीं सीपीआइएम के राज्य सचिव गोपीकांत बख्शी ने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के तहत देश में घृणा और हिंसा का वातावरण तैयार किया जा रहा है. देश को बांटने की कोशिश की जा रही है. युवाओं को रोजगार की जरूरत है.
न कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर की. लगातार जीडीपी में गिरावट, बेराजगारी दर में वृद्धि दर्शाता है कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. सरकार रोजगार सृजन नहीं कर पा रही. ऐसे में सत्ताधारी दल को चाहिए कि देश को बांटने की कोशिश न करें, युवाओं को रोजगार दें और देश की अर्थव्यवस्था को सही दिशा देने का काम करें.
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सात सूत्री मांग
इस दौरान सात सूत्री ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा गया. जिसमें एलआइसी समेत अन्य सरकारी संपत्तियों के निजीकरण पर रोक लगाने, बेरोजगारों को रोजगार या पर्याप्त बेरोजगारी भत्ता दिया जायें, न्यूनतम मजदूरी 21000 रूपये किया जायें, किसानों का कर्ज माफ हो, मनरेगा सामाजिक सुरक्षा शहरी विकास आदि कार्यों के लिये आवंटित कटौती पर रोक लगें, आम जनजीवन पर आपराधिक हमला बंद हो. समेत अन्य मांग की गयी.
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