
Ranchi: डोरंडा स्थित कुसई में भगवान चित्रगुप्त की पूजा धूमधाम से की गई. इस दौरान एबीकेएमएस फाउंडेशन की ओर से कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. एबीकेएमएस के अध्यक्ष हितेश वर्मा और महिला विंग की मंजूषा शाह ने बताया कि बच्चों के लिये प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन बच्चों के टैलेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया. जिसमें भारी संख्या में बच्चों ने पार्टिसिपेट किया और अपनी प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया. फाउंडेशन के अध्यक्ष ने कहा कि आगे भी बच्चों की बेहतरी के लिए ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे.
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ब्रह्मा जी की काया से उत्पत्ति




फाउंडेशन के सदस्यों ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त कलम के अधिष्ठाता देव हैं. कायस्थ ही नहीं, पठन-पाठन व लेखन से जुड़े सभी लोग उनकी पूजा करते हैं. कलम के देवता के रूप में प्रसिद्ध अक्षरजीवी, लेखक कुलश्रेष्ठ, लेखकों को अक्षर प्रदान करने वाले, महालेखाकार आदि विशेषणों से अलंकृत चित्रगुप्त देव की उत्पत्ति कथा का वर्णन पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलता है. विष्णु, शिव और ब्रह्मा जी ने अपनी स्वयं की शक्तियों को संचित किया, तब कलम-दवात, पत्रिका और पट्टी लिए हुए चित्रगुप्त प्रकट हुए. ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण इनके कुल को कायस्थ कहा गया और हर किसी के हृदय में विराजमान होने के कारण इन्हें चित्रगुप्त की संज्ञा मिली.
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